लखनऊ : समाजवादी सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग वोट बैंक में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने को जारी सियासी जंग में एक कदम आगे बढ़ते हुए महाराज गुहराज निषाद की जयंती (पांच अप्रैल) को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। इसके अलावा 17 अति पिछड़ी जातियों (कश्यप, कुम्हार, धीमर, बिंद, केवट, गोंड, प्रजापति, बाथम, मछुआ, तुरहा, धीवर, राजभर, निषाद, मल्लाह व कहार) को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को प्रेषित किया है।
17 जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में दर्ज करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा
शनिवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों के प्रतिनिधि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह अहसास कराने की कोशिश की कि सपा ही उनकी हमदर्द है। उन्होंने अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित वर्ग में दर्ज न होने का दोष बसपा व काग्रेस पर मढ़ा। कहा कि सपा सरकार द्वारा वर्ष 2005 में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग का लाभ देने का शासनादेश जारी कराया था लेकिन बसपा सरकार ने वर्ष 2007 में निरस्त कर दिया। समाजवादी पार्टी की अतिपिछड़ों के हितों की लड़ाई यही खत्म नहीं होगी। कन्या विद्या धन एवं बेरोजगारी भत्ता वितरण में भी अतिपिछड़ों को तरजीह देंगे। लोहिया आवास योजना में भी ध्यान रखा जाएगा। सत्ता में भागीदारी के भरपूर अवसर प्रदान करने का वादा भी किया।
अखिलेश का कहना था कि अति पिछड़ों की लड़ाई को मजबूती देने के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने ही जाति आधारित जनगणना कराने की संसद में पैरोकारी की थी। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मुलायम सिंह यादव को ही आना था परन्तु मौसम खराब होने के कारण वह दिल्ली से लखनऊ नहीं आ सके।
लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि जो अधिकारी या कर्मचारी प्रमाणपत्र बनाने में आनाकानी करेंगे, उनपर कार्रवाई होगी। खासकर गोंड जाति को लेकर उहापोह की स्थिति को जल्द समाप्त किया जाएगा। सम्मेलन के संयोजक सिंचाई राज्य मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने मुख्यमंत्री को 22 सूत्री ज्ञापन सौंपा। पूर्व मंत्री किरनपाल कश्यप ने कहा कि 17 जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की लड़ाई दिल्ली तक लड़नी होगी। राजपाल कश्यप के निशाने पर पूर्ववर्ती बसपा सरकार रही। जिसके कारण 17 अतिपिछड़ी जातियां अनुसूचित वर्ग में शामिल नहीं हो सकी थी।