नयी दिल्ली। आज 64वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लाल किले पर धव्जारोहण कर देश की जनता को शुभकामनाएं दी। इससे पहले गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति प्रणब दा ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि भारत हमेशा से शांति का प्रचारक रहा है। अगर भारत उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने को तैयार है, तो इसे उसकी कमजोरी ना समझी जाए और ना ही इसे हल्के तौर पर लिया जाए।
देश के प्रथम पुरुष प्रणब दा ने हाल की दिनों में भारत-पाक सीमा पर चल रहे तनाव चिंता जताते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से जो कृत्य किया गया वो गलत था। वही दिल्ली गैंगरेप के बाद देश में उठे बवाल और युवा शक्ति के रोष पर प्रणब दा ने कहा कि हमारे देश के युवा क्षुब्द हैं। इसका दोष उन्हें नहीं दिया जा सकता, अगर युवा किसी घटना को लेकर आक्रोशित होते है तो इसके लिए वो नहीं बल्कि हमारा प्रशासन जिम्मेदार है। युवाओं के गुस्से और रोष को महसूस करते हुए राष्ट्रपति ने पूरे सत्ता प्रतिष्ठान को ना सिर्फ चेतावनी दी, बल्कि तमाम घटनाओं का हवाला देते हुए सवाल खड़ा कर दिया कि यदि आज हमारे युवा गुस्से में है तो क्या हम इसके लिए युवाओं को दोष दे। अपने पहले संबोधन में प्रणब दा ने आर्थिक सुधारों के रथ पर सवार मनमोहन सरकार को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए विकास की नई दिशा तय करने की नसीहत दी। उन्होंने सरकार को सलाह देते कहा कि देश को अपनी नैतिक दिशा फिर से निर्धारित करने का समय आ गया है। लोगों का शासन में विश्वास होना चाहिए। उन्होंने जनता के चुने प्रतिनिधियों को भी जनता के विश्वास पर खड़ा उतरने की नसीहत दी। [bannergarden id=”8″]