फर्रुखाबाद: एक दिन बाद मकरसंक्रांति का पर्व है। जिसको लेकर गंगा स्नानार्थियों की लाखों की भीड़ गंगा घाट पर उमड़ेगी। लेकिन आने वाले श्रद्धालुओं को इस बात की बिलकुल भी भनक नहीं है कि आखिर गंगा जल की स्थिति लापरवाही के चलते क्या हो गयी है। अधजले मुर्दे शमशान घाट के कचरे के अलावा अन्य सामान गंगा में उड़ेलकर उसकी पवित्रता को खण्डित करने का प्रयास बदस्तूर जारी है।
जनपद में न जाने कितने गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़े संगठन हैं, इसके बावजूद भी इसे गंगा का दुर्भाग्य ही कहेंगे िकवह प्रदूषण और गंदगी के बड़े भंवर में फंस चुकी है। गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़े ज्यादातर संगठन महज खानापूरी करके अखबारों की सुर्खियां बनने में यकीन रखते हैं। हकीकत के पायेदान पर शायद वह पैर न रखकर छलांग लगाकर दूसरी ओर निकल जाते हैं। नतीजन दिन पर दिन गंगा की दशा बद से बदतर होती जा रही है।
मकरसंक्रांति को गंगा घाट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ेंगे। लेकिन प्रशासन ने अभी तक सिर्फ खानापूरी करके ही अपने को जनता की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया है। घटियाघाट पुल के निकट बना सुलभ शौचालय जिसकी सीधी गंदगी आज भी गंगा के जल में मिलकर उसे प्रदूषित कर रही है। घाट पर आने वाले शवों की बची हुई अधजली लकड़ियां व अन्य सामान गंगा में यूं ही खुलेआम प्रवाहित किये जा रहे हैं। बेरोकटोक चल रहे इस काम पर कोई भी बोलने वाला नहीं है।
पूछे जाने पर घाट की सफाई कर रहे एक कर्मी ने कहा कि उनकी मजबूरी है कि वह शवों की गंदगी कहां ले जायें। शव लाने वाले परिजन ही इसे बाहर फेंकने को तैयार नहीं होते। प्रश्न इस बात का उठता है कि क्या इसी गंगा के पानी में श्रद्धालु स्नान करके अपने पाप नष्ट करेंगे।