फर्रुखाबाद: क्या यूपी में अदालतों के आदेशो के कोई मायने नहीं है| आये दिन किसी न किसी मुद्दे पर फटकार खाने के बाद भी बड़ी बेशर्मी से अदालतों के आदेशो के अवहेलना हो रही है भले ही वो देश की शीर्ष अदालत हो| मध्याह भोजन योजना यानि की मिड डे मील योजना देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का परिणाम है| मगर यूपी में राजनैतिक बर्चस्व में उलझी सरकार और उनकी उलझन को सुलझाने में चाकरी करते नौकरशाह, किसी को सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की चिंता नहीं है|
शर्मनाक: भूखे पेट लौट गए नौनिहाल
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा १ से ८ तक के हर बच्चे को स्कूल में दोपहर के समय मिड डे मील का पौष्टिक भोजन खिलाने का आदेश दिया गया था| मगर यूपी के स्कूलों में मिड डे मील की बुरी स्थिति है आज ६ जुलाई को हुए सर्वेक्षण में जनपद फर्रुखाबाद में ९३ प्रतिशत स्कूलों में मिड डे का चूल्हा नहीं जला| बच्चे भूखे घर लौट गए|
- फर्रुखाबाद में सात ब्लाक हैं सातों ब्लाकों में हुए सर्वेक्षण में जो आंकड़े आये वो इस प्रकार है-
राजेपुर
राजेपुर ब्लाक में हुए सर्वेक्षण में प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जगरूप शंखवार ने बताया कि उन्हें किसी स्कूल में मिड डे बनता नहीं मिला. जे एन आई ने एसएमएस द्वारा जो रिपोर्ट राजेपुर के ग्रामीणों और स्कूलों में कार्यरत अध्यापको से ली उस आंकड़ो के मुताबिक 67 स्कूलों में से 61 स्कूलों में मिड डे नहीं बनने की रिपोर्ट प्राप्त हुई|
शमसाबाद:
शमसाबाद ब्लाक से केवल 7 स्कूलों में मिड डे बनने का मेसेज आया, वहीँ कई विद्यालाओं के अध्यापको ने फ़ोन पर मिड डे मील न बनने की रिपोर्ट दर्ज करायी| कायमगंज और शमसाबाद के सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी पुष्पराज के मुताबिक उन्हें सर्कार द्वारा सर्वेक्षण कराये जाने की कोई जानकारी नहीं दी गयी और उन्होंने बृहत स्तर पर ६ जुलाई को कोई सर्वेक्षण नहीं कराया|
कमालगंज:
कमालगंज ब्लाक में केवल 8 स्कूलों में मिड डे बनने की रिपोर्ट प्राप्त हुई| कई प्रधानो और कोटेदारो ने विशेष रूप से एसएमएस के साथ साथ फ़ोन कर सूचना दर्ज करायी कि मिड डे मील बना लेकिन ग्रामीणों को क्रास फ़ोन करने पर स्थिति उलटी पाई गयी|
मोहम्दाबाद:
सबसे ख़राब स्थिति मोहम्दाबाद की रही यहाँ केवल ८ स्कूलों में खाना बना जिसमे भी चावल परोसे गए| हालाँकि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी मोहम्दाबाद का पक्ष लेते हुए एमडीएम कि जिला समन्वयक नीलू मिश्र ने बताया की जी पी पाल ने मोहम्दाबाद में बढ़िया मीनू सहित खाना बनने की रिपोर्ट दी है| इसी ब्लाक से एक प्रधान ने आज अरहर की दाल और चावल बनने का मेसेज ६ बार दर्ज कराया|
नवाबगंज:
जे एन आई के पास आये एसएमएस के मुताबिक नवाबगंज में केवल ८० में से ४ विद्यालयों में खाना बनता मिला| इस बात की पुष्टि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी नवाबगंज नागेन्द्र चौधरी ने भी की| यानि की नवाबगंज में ९५ प्रतिशत स्कूलों में खाना नहीं बना| हालाँकि नागेन्द्र चौधरी ने बताया कि उन्हें ६ जुलाई को प्रदेश स्तरीय सर्वेक्षण की कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्होंने कराया|
बढ़पुर:
नगर क्षेत्र से लगा हुआ ब्लाक है बढ़पुर यहाँ हुए सर्वेक्षण में जेएनआई को केवल 7 स्कूलों में खाना बनने का सन्देश आया| वहीँ ब्लाक समन्वयक बढ़पुर नानकचंद ने बताया कि उन्होंने 82 स्कूलों से रिपोर्ट प्राप्त की जिसमे से केवल 6 स्कूलों में खाना बना था बाकी 76 स्कूलों के बच्चे भूखे घर लौट गए|
कायमगंज:
ब्लाक कायमगंज जो की मुख्यालय से सबसे दूर का ब्लाक है, यहाँ केवल ९ स्कूलों में खाना बना बाकी स्कूलों के बच्चे भूख से बिलबिलाकर घर लौट गए|
नगर के सरकारी आंकड़ो पर सवालिया निशान?
फर्रुखाबाद नगर:
पूरे जनपद में मिड डे मील बनने का पैमाना फर्रुखाबाद नगर क्षेत्र के स्कूलों को बनाया मिड डे मील की समन्वयक नीलू मिश्र ने| उन्होंने फ़ोन पर बताया कि उन्हें किसी भी स्कूल में मिड डे मील बंद नहीं मिला, हालाँकि उन्होंने केवल ८ स्कूलों का सर्वेक्षण किया था| नगर क्षेत्र एनजीओ के हवाले है, और एनजीओ सामूहिक चूल्हा जलाकर एक जगह खाना बनवाते है और उसे स्कूलों में स्तरहीन पैकिंग (बाल्टी भगोने में खाना खुला लेकर स्कूल स्कूल बाटते है) और ठंडा खाना बच्चो को मुहैया करा रहा है| ऐसी स्थिति में समन्वयक को शत प्रतिशत खाना बनते कैसे मिला गया सवालिया निशान है| वैसे जे एन आई को मिले संदेशो के मुताबिक प्राप्त १६ विद्यालयों में से केवल २ ने मिड डे मील बनने की सूचना दी|
नीलू मिश्र ने बताया कि उन्होंने बाकायदा सभी सहायक बेसिक अधिकारिओ को पत्र द्वारा सूचित करा दिया था. अब मेरे पास तो डाक रजिस्टर पर चढ़ी कारवाही है और सरकार कागज को मांगती है|
नोट: ये सर्वेक्षण जेएनआई ने फर्रुखाबाद की 62256 की संख्या में जनता को एसएमएस भेज कर कराया है| साथ ही साथ कुछ शिक्षा विभाग के कर्मठ कर्मिओं ने भी आंकड़े उपलब्ध कराये|