भुलक्कड़राम हो तो जरा सावधान हो लो

FARRUKHABAD NEWS FEATURED

यदि आप चीजों को इधर-उधर रखकर भूल जाते हैं या फिर किसी आदमी से मिलने के बाद उसे भूल जाते हैं तो जरा सावधान हो जाइये। हो सकता है कि भूल की यह आदत भविष्य में होने वाले स्मृति लोप या याददाश्त की कमी का संकेत हो।

दूसरी ओर, यह भी सच है कि ऐसा कोई इंसान नहीं होगा जो चीजों को इधर-उधर रखकर उन्हें कभी भूलता न हो। भूलने की यह बीमारी आदमी को बचपन से ही

भूल जाने की इस आदत के चलते ही दो जुलाई को ‘फोरगॉट डे’ मनाया जाता है। ज्यादातर दिवसों की तरह इस दिवस के अविष्कारक भी
अमेरिका के लोग हैं जो इस दिन किसी स्थान विशेष पर इकट्ठे होकर भूल जाने के अपने किस्से कहानियों को बड़े चाव से एक-दूसरे को सुनाते हैं।

भूल जाने वालों को घर में जहां भुलक्कड़राम की संज्ञा मिल जाती है वहीं कई बार भूल जाने की समस्या से ग्रस्त पति को पत्नी की जली-भुनी भी सुननी पड़ती है। यदि कोई कर्मचारी ऐसी भूल अपने ऑफिस में करता है तो उसे बॉस की डांट खानी पड़ती है।

मनोविज्ञानी आर. उपाध्याय के अनुसार भूल जाने की छोटी-मोटी घटनाएं अक्सर हर आदमी के साथ होती रहती हैं इसलिए इन्हें किसी विकार से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन यदि इंसान जाने पहचाने रास्ते को भूल जाए या फिर भूल में अक्सर अपने घर से आगे निकल जाए तो सावधान हो जाने की जरूरत है।

उनका कहना है कि मनोचिकित्सकों के पास ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें लोग जाने पहचाने रास्तों को भूल जाते हैं या फिर घर से निकलते हैं कहीं के लिए लेकिन पहुंच कहीं और जाते हैं। इस तरह की भूल याददाश्त की कमी या स्मृति लोप से संबंधित हो सकती है। इसलिए इसे कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।