फर्रुखाबाद : जहां एक तरफ पूरे प्रदेश के बेसिक स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं वहीं जनपद के स्कूलों की तो हालत बद से बदतर होती चली जा रही है। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे न जाने कितने स्कूल हैं जहां पर या तो अध्यापक तैनात ही नहीं है और यदि तैनात भी हैं तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों से साठगांठ कर विद्यालयों में पढ़ाने के लिए नहीं जाते। ऐसा ही हाल राजेपुर ब्लाक के ग्राम महेशपुर में तैनात शिक्षिका दीपशिखा का है। जहां पर 9 माह से गायब शिक्षिका के विरुद्ध अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। जिससे बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर ग्रामीणों ने उंगली उठानी शुरू कर दी है। राजेपुर के खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है उन्हें किसी ने बताया तो था मगर पूरी जानकारी नहीं है|
जनपद में ही नहीं पूरे प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कोई भी अधिकारी या शिक्षक अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए भेजना पसंद नहीं करेगा। क्यों? इसकी वजह प्रदेश के सारे अधिकारियों व शिक्षकों को भली भांति मालूम है, कि प्राइमरी स्कूलों में उनके बच्चों का भविष्य चौपट हो जायेगा। तो फिर इन अधिकारियों व शिक्षकों से यह पूछा जाये कि इन प्राइमरी विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीबों व ग्रामीणों के बच्चों का भविष्य चौपट नहीं हो रहा है। ऐसे में अधिकारी व शिक्षक मिलकर ग्रामीण मासूमों की जिंदगी से जानबूझ कर खिलवाड़ कर रहे हैं।
इसी का एक जीता जागता उदाहरण जनपद के विकासखण्ड राजेपुर क्षेत्र के ग्राम महेशपुर का है। ग्राम महेशपुर में स्थित प्राइमरी विद्यालय में सहायक अध्यापिका दीपशिखा की तैनाती है। दीपशिखा पिछले एक वर्ष पूर्व ही स्कूल गयीं थी। तब से उन्होंने दो माह का प्रसूत अवकाश लिया। उसके बाद बिना किसी सूचना के लगभग ९ माह से गायब चल रहीं हैं। दीपशिखा की अनुपस्थिति लगातार स्कूल में तैनात शिक्षामित्र राजीव कुमार व ज्योत्सना सिंह लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस बात की खबर शिक्षा विभाग को नहीं है। शिक्षा विभाग को यह बात भली भांति मालूम है। लेकिन आज तक इस शिक्षिका के विरुद्व विभाग की ओर से कोई कारगर कार्यवाही नहीं की गयी। महेशपुर ग्राम के मासूमों का भविष्य जानबूझकर अधिकारी व शिक्षिका मिलकर धूल में मिलाने में जुटे हुए हैं। वहीं ग्रामीणों ने भी शिक्षिका के साथ_साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर उंगली उठाना शुरू कर दी है।
सोमवार को इसकी हकीकत परखने के लिए जब जेएनआई रिपोर्टर महेशपुर प्राथमिक विद्यालय में पहुंचा तो वहां पर शिक्षामित्र राजीव कुमार व ज्योत्सना सिंह मिले। जिन्होंने बताया कि विद्यालय का चार्ज दीपशिखा के पास है। जो लगभग ९ महीने से गायब चल रहीं हैं। विद्यालय में कुल १४६ बच्चे पंजीकृत हैं। जिनमें मात्र ७० ही उपस्थित मिले।
वहीं जब मिड डे मील के बारे में हकीकत को देखा तो पता चला अधिकांश दिनों में दलिया व नमक के चावल ही बनाये जाते हैं। सोमवार को मीनू के अनुसार खीर बनाकर बच्चों को गरमा गरम परोसनी थी। उसके स्थान पर बच्चों को दाल डालकर खिचड़ी से ही निबटा दिया गया। वहीं विद्यालय की बाउन्ड्री बाल अभी तक नहीं बनायी गयी है। जिससे बच्चे अभी तक खुले में बैठ रहे हैं।
पास में ही स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जब पता किया तो यहां पर प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रशांत कटियार व सहायक अध्यापिका रीता शाक्य मौजूद मिले। प्रशांत कटियार ने बताया कि विद्यालय में कुल ७२ छात्र पंजीकृत हैं। जिनमें मात्र २० छात्र छात्रायें ही उपस्थित मिले। विद्यालय में अभी तक कम्प्यूटर नहीं खरीदा गया। कम्प्यूटर तो बहुत दूर की बात बच्चों के बैठने के लिए चेयर व टेबिल तक नहीं हैं। बच्चे जमीन पर ही बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि विद्यालय में टेबिल के लिए ५० हजार रुपये बजट दिया गया।
इस सम्बंध में जब एबीएसए से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शिक्षिका दीपशिखा की शिकायत मिली है। उनको नोटिस दिया गया है। सुधार न हुआ तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।