लोकतंत्र की बलिहारी – सलमान की महिमा न्यारी
त्रिपौलिया चौक की ऐतिहासिक पटिया पर गांधी जी के तीन बंदरों की तर्ज पर मियां झान झरोखे, खबरीलाल और मुंशी हर दिल अजीज बैठे हुए थे। नेहरू रोड पर रामलीला की बारात की तैयारियों के बीच आज अपने अपने आराध्यों के समर्थन और विरोध का केन्द्र बना हुआ था। दुकानदार व्यावसायी शांत चित्त अपने व्यवसाय और दीपावली, दशहरा की व्यवस्था में लगे हुए थे। पहले स्वयं अपनी छोड़कर बांकी दीन दुनिया की बुद्धि शुद्धि हेतु हवन के विशेषज्ञ लक्ष्मण सिंह और उनके सहयोगी निकले। ‘‘शिलालेख’’ के लेखक जवाहर सिंह गंगवार और कभी किसान यूनियन के कार्यक्रमों को अशोक कटियार के साथ बुलंदियों पर पहुंचाने वाले देवकी नंदन गंगवार अपने साथियों के साथ निकले। बड़े प्रयासों से शांत होने वाले जवाहर सिंह विरोध जुलूस निकालने के बाद भी आते जाते लोगों से कहते जा रहे थे। बोलो सलमान खुर्शीद ……….. है। लोग हंस देते और हाथ हिलाकर चल देते। सर्वोदय मित्र मंडल, इंडिया अगेंस्ट करप्शन आदि आदि की हलचल पूरे दिन जारी रही।
कभी स्वर्गीय पंडित विमल प्रसाद तिवारी के संरक्षकत्व में होने वाली रामलीला में कुंभकरण की सशक्त भूमिका के कारण चर्चित हो जाने वाले शहर कांग्रेस अध्यक्ष पूर्ण प्रकाश शुक्ला फिर सक्रिय हो गये हैं। उन्होंने भी अपने सहयोगियों के साथ सलमान खुर्शीद जिन्दाबाद कहकर अरविंद केजरीवाल का पुतला घुमना पर फूंक दिया। परन्तु पुन्नी शुक्ला के तेवरों में इस बार पहिले जैसी तेजी और बेबाकी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह लंकाधिराज रावण द्वारा अपने भाई कुंभकर्ण को जगाने और सीताहरण सहित सारा मामला समझने के बाद कुंभकरण द्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रिया की तरह ही डा0 जाकिर हुसैन ट्रस्ट द्वारा किए गये घोटाले की सच्चाई को समझते हुए सलमान खुर्शीद के लिए लड़ भी रहे हैं। साथ ही साथ अपने बड़े भाई को समझा भी रहे हैं। भाई तूने अच्छा न किया मुझको न जगाया पहिले से। किसी दिलजले ने धीरे से पूंछ दिया ऐसी भी क्या मजबूरी है भैया! यह हंसना और गाल फुलाना एक साथ कैसा। पुन्नी शुक्ला बोले तुम नहीं समझोगे भैया! सभी को अपनी रोजी रोटी और पापी पेट की चिंता है। हमें भी है तुम्हें भी है। सलमान खुर्शीद को भी है और लुईस खुर्शीद को भी है। यह बात अलग है कि किसी के पेट की आग हजार पांच सौ में बुझ जाती है। किसी के पेट की आग लाखों करोड़ों से भी नहीं बुझती। यही कारण है कि ऐसे लोग चोरी और हेराफेरी तो करते ही हैं। अपने को पाक साफ बताने के लिए जबर्दस्त और बेशर्मी भरी सीनाजोरी भी करते हैं। रही बात अरविंद केजरी वाल की नयी गृहस्थी वसा रहे हैं।
हाल कमोवेश लगभग सभी कांग्रेसियों का भी है। केजरीवाल के आरोपों से तमतमाये चेहरे जब विरोध के लिए उतरते हैं तब आरोपों की गंभीरता तथा सलमान और लुईस के कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार के कारण प्रबल विरोध खिसियानी हंसी में बदल जाता है।
काम नहीं आती मिडिया से दोस्ती
मुंशी हरदिल अजीज लंबे समय से केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान के कट्टर समर्थक माने जाते रहे हैं। वह कहा करते हैं। शब्दों का जादूगर है अपना सलमान। क्या सलीका है क्या तहजीब है। उनका मीडिया मैनेजमेंट काबिले तारीफ है। जिस पर खफा हो जाएं उसका मटियामेट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। खफा तभी होते हैं जब मीडिया में उनकी मर्जी का नहीं होता। यहां उनके जिले में भी उनकी चोट खाए बहुत से लोग हैं। यह उनकी दुआ बददुआओं का ही फल लगता है कि आज मीडिया भी उनके काम नहीं आ रहा है। नतीजतन सारा गुस्सा अब दो चार दिनों में मीडिया पर ही फूटने वाला है।
चौक की पटिया पर बैठ मुंशी हरदिल अजीज मीडिया को कोस रहे थे। बड़े ना मुराद लोग हैं। न इनकी दोस्ती अच्छी न इनकी दुश्मनी अच्छी। लेकिन सलमान साहब हैं कि मानते ही नहीं। अभी 2 अक्टूबर को आयोजित भजन संध्या के दौरान भी राजपूताना होटल में दोनो पति पत्नी को मीडिया मैनेजमेंट की ही चिंता सताती रही थी।
प्रिंट मीडिया के स्थानीय शहंशाह से श्रीमती लुईस खुर्शीद संभवतः आने वाली आपदा को लेकर वार्ता कर रहीं थीं या रणनीति बना रहीं थीं। वहीं उसी हाल में दूसरी ओर इलेक्ट्रानिक मीडिया के हीरो से सलमान साहब अपने गिले शिकवे दूर कर रहे थे। मुंशी बोले हंगामा खुलासा विरोध, बदनामी, इतनी जबर्दस्त होगी। इसका अंदाजा खुर्शीद दम्पत्ति और उनके स्थानीय खास चाटुकारों को भी नहीं होगा। आज हालात इतने बिगड़ गए हैं कि चंद व्यक्तिगत रूप से उपकृत लोगों को छोड़ कर पार्टी मीडिया सरकार में से कोई भी संकट में पड़े सलमान साहब की पैरवी में खड़े होने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। मुंशी बोले पता नहीं कि सलाहकारों की सलाह पर सलमान साहब मामले को मीडिया को अरविंद केजरीवाल को अदालत में घसीटने की धमकी दे रहे हैं। झूठ दर झूठ बयानों की परतें उधड़ती जा रही हैं। देश के महान प्रतिभा सम्पन्न शिक्षाविद राष्ट्रपति के नाम पर बने ट्रस्ट को आपने जितनी बुलंदियों पर पहुंचाया है। ऐसा पुण्य कार्य आप और आपकी पत्नी के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता। यह कहते कहते मुंशी हरदिल अजीज फफक फफक कर रोने लगे। खबरीलाल से चिपटकर मुंशी बोले तुम वक्त बेवक्त सही कहते हो खबरीलाल कि.
किसी को क्या पड़ी थी तुझे नीचा दिखाने की!
तेरे आमाल ही काफी हैं तेरी हस्ती मिटाने को।
कुछ तो शर्म करो एहसान फरामोशों और झूठों के बादशाह
खबरीलाल से मुंशी हरदिल अजीज का यह करुण क्रंदन देखा नहीं जा रहा था। पहिले ट्रस्ट घोटाले के उजागर होने पर उन्होंने यह तय किया था कि इस प्रकरण पर कुछ नहीं कहेंगे। परन्तु खुर्शीद उनकी पत्नी उनके नए सलाहकार डा0 चुगतई आदि की बयानबाजी से उनका धैर्य भी जबाब दे गया। अरविंद केजरीवाल को गटर का कीड़ा बताए जाने पर खबरीलाल बोले हम यह तो नहीं कहेंगे कि उल्लू की कदर उल्लू हीजानता है। परन्तु सलमान साहब से यह जरूर जानना चाहेंगे कि उनका अपने स्वयं के विषय में क्या ख्याल है। डा0 जाकिर हुसैन के नाम को आगे करके सपा मुखिया मुलायम सिंह से जिले में भूमि आवंटन के मामले में जितना लाभ सलमान ने उठाया उतना शायद ही किसी ने उठाया हो।
खबरीलाल कुछ याद करने के अंदाज में बोले उन्हीं मुलायम सिंह यादव के लिए छिबरामऊ के मवेशी बाजार की जनसभा में उनके शमशान का पत्थर लगाने की घोषणा की थी। लुईस खुर्शीद यह कह रहीं हैं कि उन्होंने सारे प्रकरण की जांच का अनुरोध मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से स्वयं मिलकर किया था। परन्तु वास्तविकता यह है कि लुईस खुर्शीद ने मुख्यमंत्री से यह आग्रह किया था कि उनके ट्रस्ट को वर्ष 2012-13 की जो ग्रांट रिलीज नहीं हो रही है। उसके लिए सम्बंधित मंत्रालय को पत्र लिख दें। खबरीलाल का यह कहना है कि उनके सूत्र यह बताते हैं कि यह पत्र प्रदेश सरकार पुराने प्रकरण के साथ हो जाने पर ही लिखने का निर्णय किया है। लंबे दावों और बयानों की यह केवल बानगी मात्र है।
सलमान का ऊंचा लंबा भारी भरकम कद नापने की मशीन कहां से मंगायें
खबरीलाल अपने स्वभाव के अनुकूल कुछ और कड़वा परन्तु सत्य बोलने जा रहे थे। परन्तु मियां झान झरोखे ने उन्हें रोक दिया। मियां झान झरोखे बोले बस करो खबरीलाल। ज्यादा कुछ कहोगे तब फिर सलमान और उनकी पत्नी के समर्थक यही कहेंगे कि यह लोग सलमान के बढ़ रहे कद और लोकप्रियता से जलते हैं। नतीजतन खबरीलाल मन मार कर चुप बैठ गये।
मियां झान झरोखे बोले खबरीलाल भैया हम तो आज तक यही नहीं समझ पाए कि भ्रष्टाचार के गंभीर और संगीन आरोपों से घिरे नेताओं के पेशेवर समर्थक अपने नेता के समर्थन में बिना कुछ समझे बूझे उसके कद और लोकप्रियता की दुहाई क्यों देने लगते हैं। चुगली करके प्रत्यूश शुक्ला का पद हथिया लेने की बात आपकी ही पार्टी के लोग आपके विषय में करते हैं। मियां बोले हमें इससे कुछ भी लेना देना नहीं। प्रत्यूश शुक्ला को तो आप अच्छी तरह जानते होंगे। कुछ दिन पहिले तक वह सलमान के आंख कान हुआ करते थे। उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था। मदर टेरेसा के अनन्य भक्त और पद्मश्री के जबर्दस्त दावेदार प्रत्यूश शुक्ला आज कहां हैं किस हाल में। सलमान साहब और उनकी बेगम के कद और लोकप्रियता के विषय में उनसे बेहतर कौन जानता है। खैर यह सब आपके घर की बात है। घर की बात घर में ही रहे यही बेहतर है। हम बाहर की और प्रमाणिक बात आपके सामने रखना चाहते हैं। विश्वास है उसके बाद इस प्रकार की व्यर्थ और बेमतलब की बातें करना आप बंद कर देंगे। ध्यान रहे कि फर्रुखाबाद के लोग सीधे जरूर हैं परन्तु मूर्ख नहीं हैं। उन्हें तुम्हारी और तुम्हारे बास सभी की हकीकत मालूम है।
मियां झान झरोखे पिछली बातों को याद करने के अंदाज में बोले। सलमान साहब अपने जीवन का पहिला लोक सभा चुनाव वर्ष 1989 में लड़े। वह पत्रकार संतोष भारतीय के मुकाबले चुनाव हार गए। वर्ष 1991 में पुनः हुए लोकसभा चुनाव में वह स्वर्गीय अनवार मोहम्मद खां के मुहंबोले भतीजों के शानदार विश्वासघात के चलते जीत गए। विदेश राज्यमंत्री बन गए। चापलूसी और मक्खनबाजी की परंपरा के आप श्रेष्ठतम उदाहरण हैं। मियां झान झरोखे बोले जानकार लोगों का कहना है कि जिस समय अयोध्या में दिसम्बर 1992 में कारसेवक बाबरी मस्जिद को गिरा रहे थे। सलमान साहब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हाराव के साथ दूरदर्शन का आनंद ले रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनियागांधी के लिए जान तक देने की कसमें खाने वाले सलमान साहब का 1996 के चुनाव में हारने और तीसरे नंबर पर रहने के बाद प्रारंभ हुआ राजनैतिक बनवास 14 वर्षों के बाद 2009 के लोकसभा में समाप्त हुआ। वह जीत गए और कैबिनेट मंत्री बन गए।
मियां अपनी रौ में बहे जा रहे थे। बोले सलमान साहब की यह जीत उनकी लोकप्रियता या कथित रूप से बढ़ते कद की जीत नहीं थी। सलमान साहब की जीत भारतीय जनतंत्र की सबसे बड़ी बीमारी कम मतदान और वोटों के बंटवारे का दुष्परिणाम थी। मियां झान झरोखे समझाने के अंदाज में बोले फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या है 1325695 (तेरह लाख, पच्चीस हजार, छः सौ पच्चानवे)। इनमें से सलमान साहब को केवल 169351 (एक लाख उनहत्तर हजार, तीन सौ इक्यावन) वाट मिले थे। यह कुल मतदाताओं के लगभग मात्र 13 प्रतिशत है। कद और लोकप्रियता का यह पैमाना हमारी और आप सब की आंखें खोलने के लिए काफी है।
सलमान जैसों से ज्यादा दोषी हैं मतदान न करने वाले!
मियां झान झरोखे की बातों से खबरीलाल को काफी सांत्वना मिली। खबरीलाल बोले कम मतदान और वोटों के वंटवारे ने माफियाओं जातिवादियों साम्प्रदायिक तत्वों तथा धन बल बाहुबल के माध्यम से चुनाव मैदान में उतरने वालों का रास्ता आसान कर दिया है। महंगे चुनाव की लंबी श्रंखला खेलने वाले खिलाड़ी से आप यदि ईमानदार रहने की उम्मीद रखते हैं। तब फिर इसे मूर्खता नहीं और क्या कहा जाएगा। सलमान या उनकी पत्नी वर्ष 1989 से लगभग हर चुनाव लड़ते हैं। बहुत महंगा चुनाव लड़ते हैं। अभी मार्च 2012 के विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक हार के लिए कथित रूप से करोड़ों रुपये फूंक दिये गए। फिर भी जमानत जप्त हो गई। ऐसे में बेचारे क्या करें। महंगा चुनाव शिष्टाचार से नहीं भ्रष्टाचार से ही लड़ा जा सकता है जीता जा सकता है।
खबरीलाल बोले इन बदतर हालातों को सही करने का इलाज भारतीय मतदाता को छोड़कर किसी के पास नहीं है। जिस दिन मतदाता निष्पक्ष और निर्भीक होकर शतप्रतिशत मतदान का संकल्प कर लेगा राजनीति की सारी गंदगी और सड़ांध भ्रष्टाचार महंगाई बेरोजगारी सहित सारी समस्यायें हल हो जायेंगीं। खबरीलाल बोले चाहें सलमान हों या डी. राजा कलमाड़ी हों या येदुरप्पा, कोड़ा हों गौड़ा, कांग्रेस हो या भाजपा, माया हों या मुलायम गड़करी हो या सोनिया जयललिता हो या मोदी या जो भी लोग हों जिनके भ्रष्टाचार से देश कराह रहा है। जिस दिन हम आप सब मिलकर शतप्रतिशत मतदान का संकल्प कर लेंगे। हमारे नेता सुधर जायेंगे, भ्रष्टाचार से तोबा कर लेंगे या फिर शतप्रतिशत मतदान की भारी वर्षा में तिनके की तरह बह जायेंगे।
और अंत में- एक बिन मांगी सलाह अरविंद केजरीवाल को
आपको और आपके आंदोलन को बहुत बहुत बधाई! आप अपने लक्ष्य में सफल हों। यह हर जागरूक भारतीय की इच्छा है। परन्तु लोकतंत्र में सब कुछ मतदान से होता है। यह कमाल ही है कि मुख्यमंत्री का बेटा हारा है। राष्ट्रपति का बेटा हारते हारते बचा है। मीडिया की चकाचौंध बरसाती बिजली के प्रवाह की तरह है। इसके बुझते ही धुप्प अंधेरा छा जाता है। आप अपने लोगों के साथ जन लोक पाल बिल के लिए अपेक्षित परिवर्तन के लिए आम आदमी की केवल टोपी नहीं लगाइए। आम आदमी के पास जाइए। इसे राष्ट्रीय राजधानी के मीडिया की चकाचौंध में ही सीमित मत रखिए। आम आदमी से निष्पक्ष और निर्भीक होकर मतदान का संकल्प कराइए। सफलता आपके चरण चूमेगी। आप जनतंत्र के ऐसे सितारे हो जायेंगे जिसकी आय कभी कम नहीं होगी। जनाब विकलांगों के घोटाले का मामला तो बहुत छोटा है जैसे पानी में पड़ी वर्फ का बाहर आया अंश। घपलों घोटालों की पराकाष्ठा है। प्रत्यूश शुक्ला को वादा माफ गवाह बनाइए फिर तेल देखिए और तेल की धार देखिए।
चलते चलते –
गोंडा के हटाए गए राज्यमंत्री के संदर्भ में सपा मुखिया ने प्रदेश के सभी मंत्रियों को सुधरने और संयम से काम करने की हिदायत दी है। देखना है जिला पंचायत अध्यक्षी के चुनाव में काफी बदनामी झेल चुके अपने राज्यमंत्री कब और कितना सुधरते हैं। आज बस इतना ही जय हिन्द!
सतीश दीक्षित
एडवोकेट