यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे: 20 रुपये की खातिर हथकड़ी कंधे पर

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फर्रुखाबाद: अपराधी व पुलिस का चोली दामन का साथ माना जाता है। लेकिन पुलिस और अपराधियों की दोस्ती कचहरी में उस समय बखूबी नजर आती है जब जिला जेल से पेशी पर लाये जाने वाले कैदियों को पुलिसकर्मी हथकड़ी में लाने की बजाय उनका हाथ पकड़कर दोस्तों की तरह ले जाती है। जिससे कई बार कैदी भागने में भी कामयाब हो जाते हैं लेकिन पुलिस अभी तक चेतती नजर नहीं आ रही है।

जिला जेल के बंदियों को पुलिस द्वारा प्रति दिन कचहरी पेशी के लिए लाया जाता है। जिनके परिजनों से 20 से 50 रुपये लेकर सहुलियतें देने के नाम पर इन बंदियों को पुलिसकर्मी हथकड़ी नहीं पहनाते। पुलिसकर्मी बंदियों के हाथों में डाली जाने वाली हथकड़ी को अपने ही कंधे व गले में डालकर बंदियों का दोस्तों की तरह हाथ में हाथ डालकर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करते हैं। जिससे बंदियों के भागने का खतरा बखूबी बना हुआ है। लेकिन पुलिस कर्मियों को 20 और 50 रुपये के लोभ में अपनी कमियां नजर नहीं आ रहीं हैं।

विदित हो कि लोहिया अस्पताल व कचहरी से इससे पहले कई बंदी भाग चुके हैं। अभी कुछ माह पूर्व ही कचहरी की हवालात को तोड़कर 7 कैदी भाग गये थे। जिनका अभी तक कोई अता पता नहीं चल सका है। लगता है पुलिस विभाग इन सात कैदियों को तो भूल सी गयी है। वहीं अब पुलिस विभाग दोबारा किसी बंदी के भागने का इंतजार कर रही है। यही बजह है कि पुलिसकर्मी बंदियों को हथकड़ी में न ले जाकर हाथ में हाथ डालकर ले जाते हैं। इतना ही नहीं पुलिसकर्मी बंदियों व उनके परिजनों से बात कराने के लिए रुपये लेकर बात कराते हैं। यदि बंदी के परिजन मौके पर नहीं आये हैं तो यह पुलिसकर्मी अपने फोन से भी बात करा देते हैं। जिससे पिछले दिनों भी कचहरी की हवालात में बंद बंदियों में मोबाइल फोन से बात करने को लेकर मारपीट हो गयी थी। लेकिन जनपद के आला पुलिस अधिकारी आंख, कान बंद करके बैठे हैं जिससे कभी भी कोई घटना हो सकती है।