पहले भी कई कैदी सो चुके मौत की नींद!

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फर्रुखाबाद: सेन्ट्रल जेल में बाहर से देखने में हालत जितने अनुशासित है अंदर से उनते ही मुलायम| जिसके परिणाम स्वरूप बीते वर्ष में कई मौते फांसी पर झूलने से हो चुकी है| यंहा तक की कैदी की गला दबाकर हत्या का आरोप लगाकर बंदी के परिजन कोर्ट का दरबाजा तक खटखटा चुके है|
घटना नम्बर 1: बीते 3 जून 2017 को आजीवन कारावास में बंद कानपुर नगर के बिल्हौर उत्तरी निवासी लुंजी पुत्र राधेश्याम का शव जेल के भीतर निर्माणाधीन बैरक में गमछे से फांसी पर लटका मिला था| मृतक की बहन रामेश्वरी देवी ने लुंजी की हत्या का आरोप लगाया था|
घटना नम्बर 2 : योगेन्द्र उर्फ़ योगा पुत्र राम विलास सिंह निवासी बसौलिया जैथरा एटा भी आजीवन कारावास की सजा काट रहा था| उसका भी शव बैरक में पंखे पर झूलता मिला था| उसमे भी परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया| जब किसी ने नही सुनी तो मृतक के पिता रामविलास ने 6 जुलाई को अदालत का दरवाजा खटखटाया| रामविकास ने जेलर सुनीत कुमार सिंह चौहान, डिप्टी जेलर केपी चंदेला, हिमांशु रौतेला पर गला दबाकर हत्या कर आरोप लगाया था| कोर्ट ने पुलिस ने आख्या तलब की थी| मामले में डीआईजी आरपी सिंह ने जाँच भी की थी |
घटना नम्बर3: बीते 26 जनवरी 2016 को सेन्ट्रल जेल की बैरक में बंद दिव्यांग रामपाल उर्फ़ साधू पुत्र नन्दू निवासी पाण्डेयपुर हरदोई की लाश तन्हाई की दीवार में लगे कुंडे में लटकी मिली| इसके बाद भी सबाल खड़े हुये की जो व्यक्ति हाथ से दिव्यांग है वह फांसी का फंदा कैसे लगा सकता है| लेकिन बाद में लीपापोती हो गयी|