धरोहरों को समेटने के इंतजार में खंडहर ना हो जाये संग्रहालय

FARRUKHABAD NEWS जिला प्रशासन सामाजिक

फर्रुखाबाद: जनपद अपने-अपने तरीके से 18 मई को अंतराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मना रहा है| अपने जनपद में करोड़ों की लागत से बना संग्रहालय केबल एक सफेद हाथी ही नजर आता है| 9 सालों के बाद भी उसे शुरू नही किया जा सका| इसके लिये लक्ष्मी शंकर वाजपेयी की चार लाइन सब कुछ कहती हैं –
वो दर्द वो बदहाली के मंज़र नहीं बदले
बस्ती में अँधेरे से भरे घर नहीं बदले।
हमने तो बहारों का, महज़ ज़िक्र सुना है
इस गाँव से तो, आज भी पतझर नहीं बदले।
खंडहर पे इमारत तो नई हमने खड़ी की,
पर भूल ये की, नींव के पत्थर नहीं बदले।
बदला है महज़ कातिल और उनके मुखौटे
वो कत्ल के अंदाज़, वो खंजर नहीं बदले।
दरअसल सामाजिक सांस्कृतिक विरासत और अमूल्य धरोहरों को नई पीढ़ी के सामने लाने का प्रयास वर्ष 2011 में राजकीय पुरातत्व संग्रहालय के निर्माण के साथ शुरू हुआ था| संग्रहालय का भवन लगभग बन कर तैयार है| लेकिन उसको अभी तक अमली जामा नही पहनाया जा सका| संग्रहालय के संचालन को प्रदेश सरकार से पद सृजित न हो पाने से ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रहालय में हस्तांतरण की कार्रवाई को अमली जामा नही पहनाया जा सका| दूसरी तरफ साहित्यकार डाक्टर रामकृष्ण राजपूत ने संग्रहालय की फ़िलहाल व्यवस्था ना होनें पर अपने घर में ही सैकड़ो वर्षों पुरानी चीजो को सहेजकर रखें हैं|
संग्रहालय को शुरू कराने के लिए काफी प्रयास किया गया लेकिन कोई नतीजा नही हुआ| कई जिलाधिकारी शासन और सरकार को संग्रहालय शुरू करने के लिए पत्र लिख चुके है| वर्तमान जिलाधिकारी मोनिका रानी ने भी सरकार को पत्र भेजा लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई|
डॉ0 रामकृष्ण राजपूत ने जेएनआई को बताया कि 10 अक्टूबर 2013 को इस सम्बन्ध में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से वार्ता हुई थी| लेकिन उसके बाद भी कोई परिणाम नही निकला| पुरातत्व विभाग को वित्त विभाग की सहमति से पद सृजित करना है। उनके आवास पर स्थित अस्थाई संग्रहालय की वस्तुओं को राजकीय संग्रहालय में हस्तांतरित किया जाना है।
बैठक में भी छाया संग्रहालय का मुद्दा
पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत के आवास पर आहुति की गयी जिसकी अध्यक्षता अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ ने की|इसमे भी राजकीय संग्रहालय के अभी तक प्रारंभ ना होनें पर चिंता जाहिर की गयी| इसके साथ ही डॉ0 रामकृष्ण राजपूत, जवाहर सिंह गंगवार, वरिष्ठ छायाकार रविन्द्र भदौरिया, डॉ0 श्याम निर्मोही आदि रहे|