तीन तलाक बिल लोकसभा में पास,पक्ष में 245 व विरोध में 11 वोट

FARRUKHABAD NEWS POLICE Politics Politics-BJP जिला प्रशासन धार्मिक राष्ट्रीय सामाजिक

नई दिल्ली:विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते लंबे अरसे से अटका तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पास हो गया है। अब यह विधेयक राज्यसभा में भेजा जाएगा। वोटिंग से पहले इस बिल करीब पांच घंटे तक लंबी चर्चा हुई। विपक्षी और सत्ताधारी दलों के सांसदों ने अपने-अपने पक्ष रखे। वहीं, वोटिंग से पहले कांग्रेस, डीएमके समेत कई दलों ने सदन से वॉकआउट कर लिया। लोकसभा स्पीकर ने तीन तलाक बिल पारित होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
लाइव अपडेट्स
– तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित। विधेयक के पक्ष में 245 और 11 वोट पड़े।
– तीन तलाक में वोटिंग पर ओवैसी का प्रस्ताव गिरा। ओवैसी की तरफ से लाए गए प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। वोटिंग में ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 वोट पड़े जबकि 236 सांसदों ने प्रस्ताव का विरोध किया।
– तीन तलाक में संशोधन पर वोटिंग हो रही है। वोटिंग से पहले कांग्रेस, डीएमके और एआईएडीएमके समेत कई विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर लिया है।
– ‘तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है, इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है। यह संवैधानिक मसला है। मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया जाए : मल्लिकार्जुन खड़गे
– कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सदन में किसी ने तीन तलाक का समर्थन नहीं किया, लेकिन बिल का विरोध जरूर किया। अगर तीन तलाक गलत है तो क्या संसद इस मुद्दे पर शांत रहेगी।
– इसे अपराध बनाने के खिलाफ कमेटी में भेजने की मांग की जा रही है। हमने बच्ची से रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया है तब किसी ने क्यों नहीं कहा कि फांसी के बाद दोषी के परिवार का क्या होगा। निर्भया कांड के बाद भी सख्त कानून इसी सदन से पारित किया गया था। दहेज कानून में भी सास, ननद, पति जेल जाते हैं, तब सवाल क्यों नहीं उठाए जाते हैं : रविशंकर प्रसाद
– यह पूरा मसला किसी कौम को निशाना बनाने का नहीं और न ही किसी संप्रदाय के वोट बैंक से जुड़ा है। कोर्ट के पांच जजों में से एक ने कुरान की भी व्याख्या की है। जो कुरान में पाप माना गया है वो कानून में कैसे ठीक हो सकता है : रविशंकर प्रसाद
– एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिन्दुस्तान की मुस्लिम महिलाएं इस बिल का विरोध कर इसी खारिज करती हैं। उन्होंने कहा, ‘यह बिल संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। हमारे समाज में समलैंगिकता को मान्यता दे दी गई लेकिन तीन तलाक को आप अपराध बना रहे हैं, उसकी वजह है कि वो कानून हमारे खिलाफ लागू होगा।’
– ओवैसी ने पूछा कि हिन्दुओं के तलाक में एक साल और मुस्लिमों के तलाक में तीन साल की सजा क्यों है। उन्होंने कहा कि कानून मंत्री बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की किस लाइन में कहा गया कि तीन तलाक असंवैधानिक है।
– ‘विपक्ष कह रहा है कि तीन तलाक बिल गलत है। तीन तलाक देने वाले को सजा नहीं होनी चाहिए। आप पहले ये बताएं कि आप शिकार के साथ हैं या शिकारी के साथ?’ : प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सांसद, अकाली दल
– केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 477 महिलाएं कोर्ट के फैसले के बाद भी पीड़ित हैं। महिलाओँ को न्याय दिलाना हमारी जिम्मेदारी है। एक भी बहन के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। ईरानी ने कहा कि 1986 के कानून में ताकत होती तो सायरा बोनो को सुप्रीम कोर्ट में जाना नहीं पड़ता। उन्होंने आगे कहा कि इस देश ने वह मंजर भी देखा जब दहेज लेने का कुछ लोगों ने समर्थन किया, लेकिन सदन ने इसे अपराध माना, सती प्रथा को भी खत्म किया गया।
– एआईएडीएमके के अनवर राजा ने कहा कि भारत में शिक्षा और पिछड़ेपन के लिए तमाम सर्वे किए गए हैं, लेकिन किसी भी स्टडी में ट्रिपल तलाक को मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन का कारण नहीं माना गया, इसलिए बिल की कोई जरूरत नहीं है। इस बिल से महिलाओं का कुछ भला नहीं होगा, बल्कि वे कमजोर हो जाएंगी। यह बिल मौलिक अधिकारों का हनन है, इससे मुस्लिम मर्दों का शोषण होगा और उनके परिवार बिखर जाएंगे।
– मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हिंदुओं के कानूनों को जो लोग हवाला दे रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि 1955 के कानून से पहले हिंन्दुओं में तलाक होता ही नहीं था।
– भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि जो लोग सबरीमाला का शोर मचा रहे हैं उन्हें बताना चाहती हूं कि सबरीमाला का मामला बिल्‍कुल अलग है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस बात को माना है। कुरान में तीन तलाक़ का कोई भी उल्लेख और प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गैरसंवैधानिक माना है।
– रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘ये बिल किसी समुदाय, धर्म या उसकी आस्था के खिलाफ नहीं है। यह बिल महिलाओं के अधिकारों और उन्हें न्याय दिलाने के लिए है। प्रसाद ने पूछा कि अभी तक दुनिया के 20 इस्लामिक देश तीन तलाक पर रोक लगा चुके हैं तो भारत जैसा सेक्युलर देश क्यों नहीं लगा सकता?. प्रसाद ने कहा कि इस बिल पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
– तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने लोकसभा में कहा, ‘हम भी ट्रिपल तलाक बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने का आग्रह करते हैं। समूचा विपक्ष यही चाहता है।’
– कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्रिपल तलाक बिल पर लोकसभा में कहा, ‘यह बेहद अहम बिल है, जिस पर विस्तृत अध्ययन किया जाने की ज़रूरत है। यह संवैधानिक मामला भी है। इसीलिए अनुरोध करता हूं कि बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।’
– दोपहर बाद सदन की कार्यवाही शुरू हो गई। जिसके बाद तीन तलाक बिल पर बहस हो रही है। फिलहाल, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बिल के पक्ष में दलील दे रहे हैं।
– हंगामा कम नहीं हुआ, जिसके बाद सदन को फिर से 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
– सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन हंगामे के चलते स्पीकर ने लोकसभा को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
तीन तलाक की है राजनीतिक अहमियत
तीन तलाक विधेयक राजनीतिक रूप से भी बहुत अहम है। भाजपा इसके जरिए महिलाओं की बराबरी के मुद्दे को ऊपर रखना चाहती है। वहीं पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की मदद करने के लिए जमीनी स्तर पर महिला मोर्चा और युवा मोर्चा को तैनात किया गया है। इसे मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।
विपक्षियों के लिए मुश्किल बना तीन तलाक बिल
वहीं कुछ विपक्षी दलों के लिए यह मुश्किल का सबब बन गया है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है। यही कारण है कि पहले लोकसभा से पारित होने के बावजूद राज्यसभा में वह अटक गया था, जहां राजग का बहुमत नहीं है। सितंबर में सरकार को अध्यादेश लाकर तत्काल तीन तलाक को गैरकानूनी करार देना पड़ा था। इसमें तत्काल तीन तलाक देने वाले पुरुष के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान भी है। उसी अध्यादेश की जगह लेने के लिए 17 दिसंबर को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया था। माना जा रहा था कि विपक्ष राजनीतिक परिणाम को देखते हुए इस बार खुले दिल से इसका समर्थन करेगा। लेकिन, सदन में विधेयक पेश होते वक्त इसका विरोध कर कांग्रेस ने जता दिया था कि वह कुछ संशोधनों की मांग करेगी।
दरअसल, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सजा के प्रावधान के खिलाफ हैं। पिछली बार गैर जमानती गिरफ्तारी का भी प्रावधान था, जिसे इस बार हटा दिया गया है। इसके बावजूद तृणमूल कांग्रेस की ओर से इसका समर्थन किए जाने की उम्मीद कम है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की बड़ी संख्या है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसका विरोध करता रहा है।