टाडा बहरामपुर में पुलिस का तांडव: महिलाओं-विकलांगों तक को नहीं बख्शा, ग्रामीणों का पलायन

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कमालगंज (फर्रुखाबाद): थानाध्यक्ष सुनील तिवारी व हल्का इंचार्ज राजकिशोंर अवस्थी की पिटाई का बदला लेने के लिये पुलिस ने कायरता व बर्बरता की हदे पार कर दीं। बीती रात कमालगंज क्षेत्र के ग्राम टाडा बहरामपुर में पुलिस के लगभग एक सैकड़ा जवानों ने जमकर ताण्डव किया। पुलिस की दहशत से लोग अपने घरों को छोड़कर रात में ही भाग गये। पुलिस कर्मियों के जुल्म से महिलायें व विकलांग भी नहीं बच सके। घरों के दरवाजे तोड़ दिये गये, झोंपड़ियां व छप्पर तहस नहस कर दिये गये। एक महिला  को छत से फेंक दिया गया, जिससे उसकी कमर टूट गयी। इस समय गांव में पुलिस की दहशत की बजह से सन्नाटा पसरा हुआ है।

विदित है कि एक महिला को गांव से बरामद करने गये थानाध्यक्ष कमालगंज सुनील तिवारी, दरोगा राजकिशोर अवस्थी व सिपाही श्रीकृष्ण के साथ ग्रामीणों का विवाद हो गया था। थानाध्यक्ष सुनील तिवारी द्वारा सर्विस रिवाल्वर निकालने पर उग्र हुए लोगों ने सिपाहियों के भाग जाने पर थानाध्यक्ष के साथ मारपीट कर दी थी। बाद में थानाध्यक्ष सुनील तिवारी की तरफ से ग्रामीणों के विरुद्ध तहरीर दी गयी। तहरीर के मुताबिक ग्रामीणों ने ही पुलिस पार्टी पर फायरिंग की। जिस मामले को पुलिस ने पिंकू जाटव पुत्र महेश,  महेश पुत्र दुलारे जाटव, महेश की पत्नी, महेश की पुत्री सविता, गांव के ही सर्वेश यादव पुत्र रामऔतार, भूरा पुत्र हरिश्चन्द्र यादव, रामदास पुत्र रूपलाल जाटव, विनोद के अलावा 40 अज्ञात महिलाओं व 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 393, 336, 332, 353, 341, 427, 504, 506 आई पी सी के तहत मुकदमा थाना कमालगंज में ही पंजीकृत कर लिया गया। एफआईआर के बाद से ही गांव में पुलिस कर्मियों द्वारा अज्ञात में नामजद कियेजाने की धमकियां दिये जाने व वसूली किये जाने की शिकायतें भी ग्रामीणों द्वारा की जा रहीं थीं।

ग्रामीणों के अनुसार बुधवार की रात ग्रामीणों की गिरफ्तारी के नाम पर लगभग एक सैकड़ा पुलिस के जवानों ने टाडा बहरामपुर गांव में दबिश दी। पुलिस की आधी रात को पड़ी दबिश से टाडा बहरामपुर के ग्रामीण रात में ही अपने घरों को खाली छोड़कर भाग गये। सुबह तक गांव में कोई भी व्यक्ति नहीं बचा। गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। पुलिस आधा दर्जन व्यक्तियों मुरली पुत्र छदामीलाल, सर्वेन्द्र पुत्र मुरली, अनिल पुत्र विजय शुक्ला, रामसिंह पुत्र भंजू जाटव, जनवेद पुत्र जौहरी, रामौतार पुत्र रामसहाय को पकड़कर कमालगंज थाने ले आयी।जहां पूछताछ के बाद अन्य पांच लोगों को पुलिस ने छोड़ दिया। लेकिन जनवेद पुत्र जौहरी अभी पुलिस हिरासत में है।

खाकी का खौफ: ग्रामीण असहाय वृद्वों को घर छोड़ भागे

फर्रुखाबाद: खाकी, जिस पर समाज ने आम जनता की रक्षा व कानून को तोड़ने वालों को पकड़कर न्यायालय के सामने लाकर दण्ड दिलवाने की जिम्मेदारी दी। लेकिन जब जिम्मेदार लोग ही अपनी जिम्मेदारी को भूलकर बहसी बन जाये ंतो इसमें किसी का क्या दोष। अनपढ़ ग्रामीण अगर अनजाने में कानून तोड़े ंतो बात समझ में आती है लेकिन अपना रौब झाड़ने के लिए अगर खाखी ही खौफनाक हो जाये तो आप क्या करेंगे और आम जनता अपने उत्पीड़न की शिकायत किससे करेगी। यही कुछ बीती बुधवार की देर रात थानाध्यक्ष सुनील तिवारी की पिटायी के लिए चर्चा में चल रहे टाडा बहरामपुर गांव में देखने को मिला। जब पुलिस पूरी तैयारी के साथ गांव पर हमला बोलने पहुंची। माहौल कुछ ऐसा था कि कुछ ग्रामीणों को नहीं वल्कि किसी अन्तर्राष्ट्रीय खूखांर आतंकवादी को पकड़ने के लिए दबिश दी हुई है। पुलिस ने अपना जो चेहरा टाडा बहरामपुर में दिखाया, उस पर किसी भी व्यक्ति की रूह कांप जाये। ग्रामीणों ने अगर थानाध्यक्ष के साथ मारपीट कर कानून तोड़ा तो पुलिस ने क्या किया। पुलिस ने तो उससे भी ज्यादा खौफनाक स्थिति गांव में पैदा कर दी। जब वृद्वों, बच्चों युवतियों, महिलाओं के साथ मारपीट की और मामला तो बद से बदतर तब हो गया जब दलित महिलाओं के साथ मौका देखकर कुछ पुलिसकर्मियों ने उनके आंचल तक पर हाथ डाल दिये। लेकिन मजबूर और असहाय महिलायें खून का घूंट पीकर रह गयीं और पुलिस अपनी मनमानी कर वापस लौट आये।

थानाध्यक्ष सुनील तिवारी अब जाना पहचाना नाम हो गया। पिछले दिनों टाडा बहरामपुर में हुई थानाध्यक्ष की पिटायी के बाद थानाध्यक्ष द्वारा फायरिंग की घटना अपने सर्विस रिवाल्वर से ही कर देने के बावजूद चश्मदीदों की आंख में धूल झोंक कर उल्टा दलित ग्रामीणों पर ही फायरिंग का आरोप लगा दिया और कइयों के खिलाफ मुकदमा और एक सैकड़ा अज्ञात लोगों को इस मकड़जाल में बदला लेने की दृष्टि से फंसा दिया। पुरानी कहावत है ‘ सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का’’ कोतवाली अपनी, मुन्शी अपना तो कानून भी अपना ही हो गया। ऐसा ही वाकया थानाध्यक्ष कमालगंज सुनील तिवारी के साथ हो रहा है। पिटायी के बाद एफआईआर दर्ज की गयी। तब से लेकर मीडिया की सक्रियता की बजह से मजबूरन बीते दो  दिन से पुलिस शांत बैठी रही। लेकिन बदला लेने की टीस पुलिस के अंदर बराबर कौंधती रही। योजनाबद्ध तरीके से रात में पुलिस ने जो ताण्डव किया वह बाकई में आने वाले समय के लिए एक मिशाल होगी।
देर रात पुलिस ने टाडा बहरामपुर में पहुंचकर अपनी खुन्नस व खाकी की लुट चुकी इज्जत बचाने के चक्कर में पुलिस ने गांव में वह खौफ पैदा कर दिया जैस गांव में खाकी नहीं, खूंखार डकैत आये हों। हर गेट का दरबाजा टूटा, चूल्हे टूटे, चारपाई टूटे, दीवारें गिरी हुईं, हांडी में खौल रहा दूध पीकर हाड़ी फोड़ दी। बच्चों को उठाकर उनकी मांओं के साथ जबर्दस्ती की गयी और घर में दबे रखे गहनों तक को जबर्दस्ती पुलिस ने निकलवा लिया। इसके बाद पुलिस ने गांव से आधा दर्जन ग्रामीणों को हिरासत में ले लिया और थाने ले आयी। गांव का नजारा देखने लायक था। महिलायें चीख-चीख कर अपना दुखड़ा रो रहीं थीं। वहीं गांव के प्रधान सहित कई सैकड़ा लोग दहशत की बजह से गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं। भूखे मवेशी कई घंटे बीत जाने के बाद भी अपने खूंटे पर रंभा-रंभा कर दू घूंट पानी का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इस बात की फिकर खाकी को नहीं हुई। उसे तो अपना बर्चस्व दोबारा कायम करना था। जिसमें काफी हद तक उसे सफलता भी मिली।

कप्तान साहब को खबर नहीं!

पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि उनको घटना की जानकारी नहीं है। अपराधियो की धरपकड़ के लिये पुलिस ने दबिश दी होगी। उन्होने बताया कि उनको पुलिस द्वारा किसी प्रकार की ज्यादती किये जाने की जानकारी नहीं है। यदि कोई शिकायत मिलेगी तो उसकी जांच करायी जायेगी।

याकूतगंज चौकी में बनी थी गांव घेरने की योजना
बीते दो दिनों से शांत बैठी पुलिस अंदर ही अंदर योजना बना रही थी। बीती बुधवार की रात याकूतगंज पुलिस चौकी पर पूरा फोर्स इकट्ठा हुआ। जिसमें थानाध्यक्ष कमालगंज सुनील तिवारी कोतवाल फतेहगढ़ रूम सिंह यादव, मोहम्मदाबाद के अलावा अन्य कई थानो का फोर्स थाना प्रभारियों सहित याकूतगंज चौकी पर पहुंची। जहां सभी अधिकारियों ने टाडा बहरामपुर को घेरने की योजना बनायी। रात तकरीबन 11 बजे पुलिस फोर्स ने टाडा बहरामपुर को छावनी में तब्दील कर दिया। गांव में पहले बाइक सवार पुलिस वाले पहुंचे व गांव की घेराबंदी की। इसके बाद जीपों से थानों की पुलिस टाडा बहरामपुर पहुंच गयी व गालियों की बौछार के साथ गांव पर हमला बोल दिया। जो सामने पड़ा उसी को तोड़ डाला। दुकान पलट दी। घर के चूल्हे चौके तोड़ दिये।