मैला ढोने की प्रथा बंद होने से बेरोजगार हुईं महिलाओं ने डीएम को ज्ञापन सौंपा

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फर्रुखाबाद: सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा शुष्क शौचालयों को ध्वस्त किये जाने के कारण बेरोजगार हुईं महिलाओं ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में महिलाओं ने उनकी आजीविका की व्यवस्था अथवा पेंशन दिलाये जाने की मांग की।

विकासखण्ड राजेपुर क्षेत्र के ग्राम उधरनपुर लीलापुर की एक दर्जन महिलाओं ने डीएम से गुहार लगाते हुए कहा कि गांवों में शुष्क शौचालय ध्वस्त करा देने से कमाने का कार्य बंद हो चुका है। मैला ढोने वाले लोग भूमिहीन होने की बजह से अब उनके पास रोजी रोटी चलाने के लिए कोई सहारा नहीं है। इतना ही नहीं ज्ञापन देने वाली आधा दर्जन महिलाओं ने कहा कि उनके पतियों की मृत्यु पहले ही हो चुकी है। जिससे उनकी आजीविका का एक मात्र साधन भी छिन गया। उन्हें सरकार द्वारा दी जाने वाली विधवा पेंशन भी नहीं दी जा रही है।

गांव के प्रधान से पेंशन बंधवाने के लिए गुहार लगायी गयी तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि मेरे पास समय नही है। महिलाओं ने डीएम से गुहार लगायी कि उनके बच्चे भूखों मर रहे हैं। रोजी रोटी का कोई भी सहारा नहीं है। जिससे उन्हें विधवा पेंशन के साथ ही अन्य सरकारी सहायता उपलब्ध करायी जाये जिससे उनको रोजगार श्रजन में सहायक हो सके। इस अवसर पर प्रेमादेवी, वीरवती, शीला, कुन्ती आदि मौजूद रहीं।