दहेज उत्पीड़न के आरोपी ने जेल में किया आत्महत्या का प्रयास

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फर्रुखाबाद: जिला कारागार फतेहगढ़ में शनिवार प्रातः एक बीमार कैदी पेड़ पर अचानक चढ़ गया और उसने अपने अंगोछे से फांसी लगा ली। लेकिन कोई बड़ी घटना घटने से पहले बंदी रक्षकों ने उसे बमुस्किल गंभीर अवस्था में नीचे उतारा और उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।

जिला कारागार में शाहजहांपुर के पिसरी तहावरगंज निवासी जोगिंदर पुत्र ज्वाला प्रसाद दहेज उत्पीड़न के मामले में 13 अगस्त को बंद हुआ था। अस्पताल में भर्ती कैदी जोगिंदर ने बताया कि पिछले 9 दिनों से वह फेफडों के दर्द से पीड़ित है। जिसका इलाज जेल के ही चिकित्सालय में चल रहा था। कैदी के अनुसार उसे असहनीय पीड़ा हो रही थी। लेकिन जेल में इलाज कर रहे चिकित्सक सिर्फ उसे सांत्वना पर सांत्वना दिये जा रहे थे। असहनीय पीड़ा को बर्दास्त न कर पाने से परेशान कैदी ने प्रातः अस्पताल की बैरक से निकलकर सामने खड़े कटहल के पेड़ पर चढ़कर अपने अंगोछे से फांसी लगा ली। मौके पर जेल कर्मचारियों ने उसे जैसे तैसे नीचे उतारकर उच्चाधिकारियों को सूचना दी।

वहीं अस्पताल में भर्ती कैदी जोगिंदर ने बताया कि उसका विवाह 2005 में अमृतपुर से सोनेलाल की पुत्री सरलादेवी के साथ हुआ था। शादी के चार साल गुजरने के बाद उसके ससरालियों का रवैया उसके प्रति खराब हो गया। जोगिंदर के पिता बचपन में ही चल बसे थे। बड़े भाई मोहनलाल ने उसकी शादी की थी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद उनका भी स्वर्गवास हो गया। इधर उसकी मां भी उसे छोड़कर चल बसी। 2009 में उसके ससुर सोनेलाल, उसकी पत्नी सरलादेवी को बुला ले गये और वापस भेजने के लिए पांच लाख रुपये की मांग करने लगे। रुपये न दे पाने पर जोगिन्दर पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा लगा दिया और जागिन्दर 13 अगस्त को जेल आ गया। जेल आते ही उसकी तबियत बिगड़ गयी। उधर उसे अपने जमानत की भी चिंता सता रही थी। जिसके चलते उसने यह कदम उठाया।

अगर जेल अधिकारी हाल चाल ले लेते तो फांसी नहीं लगाता जोगिन्दर
पिछले 9 दिनों से जेल के चिकित्सालय में बीमार चल रहे जोगिंदर के दर्द में कोई फायदा न हो पाने से जहां एक ओर जोगिंदर परेशान था वहीं अपनी बीमारी के बारे में ठीक से इलाज कराने की शिकायत जेल अधिकारियों से चाह कर भी जोगिंदर नहीं कर पा रहा था। कैदी के अनुसार पिछले 9 दिनों से जेल का कोई भी अधिकारी उसका हाल चाल लेने जेल के अस्पताल में नहीं पहुंचा। अगर समय पर उसे सांत्वना मिल जाती तो शायद जोगिंदर यह कदम उठाने पर मजबूर नहीं होता।

जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध क्यों
जनपद की जेलों में आये दिन हो रही कैदियों की बारदातों के बाद भी आखिर जेल विभाग चेत क्यों नहीं रहा है। बीते कुछ माह पूर्व इसी जिला कारागार पर राजेश नाम का बंदी पेड़ पर चढ़ गया था और उसे घंटों मसक्कत के बाद उतारा जा सका। वहीं केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में भी कुछ माह पूर्व एक कैदी ने नाले का जंगला काटकर भागने का प्रयास किया था। कई बार कैदियों में आपसी मुठभेड़ भी हो चुकी है। आज फिर कैदी जोगिंदर ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। इसके अलावा अन्य कई घटनायें जनपद की जेलों में होने के बावजूद भी जेल प्रशासन कैदियों के प्रति इतना लापरवाह क्यों है।

इस सम्बंध में जेल अधीक्षक कैलाशचन्द्र ने जेएनआई को बताया कि बंदी 16 तारीख से कुष्ठ रोग से पीड़ित था। जिसका इलाज किया जा रहा था। जेल खुलने के बाद अचानक कई कैदी बैरकों से बाहर आते हैं बंदी रक्षक भी सुरक्षा में मौजूद थे। बंदियों की भीड़ में मौका देखकर अचानक जोगिंदर कटहल के पेड़ पर चढ़ गया। तभी मौके पर मौजूद बंदी रक्षकों ने कैदी को देख लिया व उसे नीचे से पकड़ लिया। जिससे कैदी की जान बच गयी। जेल में बंदी को कोई मानसिक परेशानी नहीं थी। वह अपनी जमानत को लेकर परेशान है।