डिंपल के निर्विरोध जीतने की जमीन तैयार: कांग्रेस, बसपा व भाजपा का वाकओवर

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कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव की पत्नी डिंपल यादव के सामने अब कोई बड़ी चुनौती नहीं है। कांग्रेस और बसपा ने जहां उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा वहीं, बीजेपी को जब तक उम्मीदवार उतारने की याद आती तब तक नामांकन पत्र दाखिल करने का वक्त बीत चुका था। हालत ये है कि डिंपल के निर्विरोध जीतने की जमीन करीब-करीब तैयार हो चुकी है।

बीजेपी उम्मीदवार जगदेव सिंह यादव अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए। आज नामांकन की आखिरी तारीख थी। लेकिन वो अपना पर्चा ही नहीं भर पाए। यूपी के बीजेपी इंचार्ज नरेंद्र सिंह तोमर ने आरोप लगाया है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जगदेव सिंह का रास्ता रोका इसलिए वो पर्चा नहीं भर पाए। कल बीजेपी ने प्रेस नोट जारी कर कहा था कि वो अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी। जब पार्टी में विरोध के स्वर उठे तो आज अचानक उसने जगदेव का नाम आगे कर दिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि हमारे प्रत्याशी को नामांकन करने से दो जगहों पर रोका गया। बीजेपी ने इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से भी की। बीजेपी की शिकायत पर चुनाव आयोग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। चुनाव आयोग ने डीएम से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। साथ ही साफ किया है कि अगर आरोप सही पाए गए तो कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इस पूरे मसले पर एक बार फिर बीजेपी की भद पिटी है। पार्टी का अंतर्कलह तो सामने आया ही है, उसका दोमुंहा रवैया भी उजागर हुआ है।

बीजेपी कन्नौज चुनाव को मुद्दा बनाने की फिराक में है लेकिन एक सवाल जो बीजेपी के इस अभियान की हवा निकाल रहा है, वो ये कि अगर बीजेपी कन्नौज की इस सीट को लेकर इतनी ही गंभीर थी तो डिंपल यादव के खिलाफ उम्मीदवार लाने का फैसला आखिरी वक्त पर क्यों लिया गया। वो भी तब जबकि बीजेपी एक दिन पहले चिल्ला-चिल्ला कर कह रही थी कि वो इस चुनाव में नहीं उतरेगी। इस बीच सपा ने भी बीजेपी के आरोपों को फर्जी बता दिया है।

इससे पहले बीएसपी और कांग्रेस ने भी डिंपल के खिलाफ प्रत्याशी नहीं खड़ा करने का ऐलान किया था। अब डिंपल के खिलाफ सिर्फ दो प्रत्याशी हैं। इसमें संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ शंखवार और निर्दलीय उम्मीदवार संजीव कुमार शामिल हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ये दोनों भी नामांकन वापस ले लेंगे। यानि डिंपल का निर्विरोध चुनाव जीतना लगभग तय है।