जांच के नाम पर नूरा कुश्ती: पीडी महिला कालेज पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट बोले “आल इज वेल”

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फर्रुखाबाद: बीते दिनों पीडी महिला डिग्री कालेज की बीएड छात्राओं द्वारा कालेज प्रबंधक पर अवैध वसूली का आरोप लगाकर जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को दिया गया था। जिसकी जांच पड़ताल करने के लिए तीन दिन बाद सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन ने पीडी महिला डिग्री पहुंचकर प्रबंधक अनार सिंह से बातचीत की। जांच को पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष जिन छात्राओं को प्रस्तुत किया गया वह आशचर्यजनक रूप से बड़ी आसानी से प्रबंधक की बातों से संतुष्ट हो गयीं। आदर सत्कार के बाद बाहर निकले सिटीमजिस्ट्रेट बोले “आल इज वेल”।

लगभग आधा दर्जन बीएड छात्राओं के साथ सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन कालेज पहुंचे। जहां कालेज प्रबंधक डा0 अनार सिंह यादव से पूछताछ के दौरान बीएड छात्राओं से ली जाने वाली धनराशि की रसीद दी जाने की बात सिटी मजिस्ट्रेट ने कही। जिस पर कालेज प्रबंधक अनार सिंह यादव ने सिटी मजिस्ट्रेट से कहा कि फीस के रूप में परीक्षा शुल्क 2500 रुपये, 2562 रुपये एजूकेशनल फीस, एडमीशन फीस 50 रुपये, खेलकूद फीस 20 रुपये, इनरोलमेंट 100 रुपये, डिग्री फीस 800 रुपये, टूर फीस 3968 रुपये कुल मिलाकर 10 हजार रुपये ले रहे हैं। जो भी रुपये लिये जायेंगे। उसकी रशीद दी जायेगी। अभी तक 96 छात्राओ को रसीद दी जा चुकी है। कालेज में 200 बीएड छात्रायें हैं। प्रबंधक अनार सिंह ने बताया कि इसके अलावा कोई भी पैसा हमारे कालेज में नहीं लिया जायेगा।

सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन ने कहा कि कालेज प्रशासन की बात से छात्रायें संतुष्ट हो गयी हैं अगर दोबारा पैसे लेने की बात सामने आती है तो कार्यवाही की जायेगी। वहीं कुछ छात्राओ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनसे एडमीशन से पहले ही यूनीवर्सिटी द्वारा ये सारी फीस मिलाकर कुल फीस जमा करवा ली गयी। वहीं इनरोलमेंट भी सभी छात्राओ का नहीं होना है। जो छात्रायें कानपुर यूनीवर्सिटी की पहले से हैं उनका पहले से ही इनरोलमेंट है।  वहीं टूर के नाम पर लिये जाने वाले चार हजार रुपये भी अवैध हैं पहले तो कालेज प्रबंधक को अपनी तरफ से टूर पर ले जाना चाहिए। वह भी ५ दिन का टूर कोर्स में सम्मलित होता है। । टूर, परीक्षा शुल्क, एडमीशन फीस, एजूकेशनल फीस इत्यादि के नाम पर एक्स्ट्रा वसूले जा रहे रुपये यदि वैध हैं तो छात्राओ को यूनीवर्सिटी का आदेश दिखाया जाना चाहिए। तब रुपये लिए जाने चाहिए।

जो भी हो सिटी मजिस्ट्रेट साहब ने तो जांच के नाम पर पल्ला झाड़ लिया है। पिसें वह छात्रायें जिन्होंने शिकायत की। क्योंकि अभी तो फार्म ही भर रहे हैं अभी न जाने क्या-क्या नेग वसूली की जायेगी। उस सब का भुक्त भोगी तो इन छात्राओ को ही होना पड़ेगा। इससे कुछ छात्रायें भी अपनी जुबान को दबा कर ही बीएड कर लेना उचित समझ रहीं हैं।