सीबीआई लोकपाल से बाहर, स्वतः संज्ञान का अधिकार नहीं, अनशन की घोषणा

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केंद्र सरकार ने लंबी माथापच्ची और बैठकों के के बाद लोकपाल के फाइनल ड्राफ्ट को करीब-करीब तैयार कर लिया है। इस ड्राफ्ट को शाम को होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद बिल को संसद में पेश किया जाएगा। लोकपाल बिल में अब तक के सबसे बड़े विवाद के मामले पर सरकार ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। सरकार ने कहा है कि वह अपने मसौदे में सीबीआई को लोकपाल के दायरे में नहीं रखेगी। जिससे अन्‍ना का अनशन लगभग तय माना जा रहा है।

प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक सीबीआई निदेशक का चुनाव प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश मिलकर करेंगे। लोकपाल में 50 फीसदी आरक्षण लागू रहेगा। लोकपाल के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए सौ सांसदों की सिफारिश चाहिए होगी। लोकपाल करप्शन के किसी भी केस का स्वतः संज्ञान नहीं ले पाएगा बल्कि वह शिकायत मिलने पर ही जांच करेगा। सीबीआई सिर्फ उन्हीं मामलों की रिपोर्ट लोकपाल को देगी जो लोकपाल द्वारा प्राथमिक जांच के बाद उसे रैफर किए जाएंगे।सीबीआई पर प्रशासनिक नियंत्रण पहले की तरह ही डीओपीटी का रहेगा। निचले कर्मचारियों को सीवीसी के तहत लाया जाएगा जो लोकपाल को रिपोर्ट करेगा।

सरकार का ये लोकपाल उसके पुराने ड्राफ्ट और स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों से कहीं ज्यादा मजबूत है लेकिन उतना ताकतवर भी नहीं है जितना कि अन्ना हजारे और उनकी टीम मांग कर रहे हैं। फिलहाल सरकार ने लोकपाल बिल पास करने के लिए संसद का सत्र 29 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। कहा जा रहा है कि 27 दिसंबर को लोकपाल बिल संसद में पेश किया जाएगा।

लेकिन अन्ना हजारे ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार लोकपाल बिल पर गंभीर नहीं है।  उन्होंने कहा, लोकपाल का नया मसौदा मंजूर नहीं, सरकार ने संसद का अपमान किया।  अन्ना ने कहा, जन लोकपाल के लिए 27, 28 और 29 दिसंबर को अनशन किया जाएगा और 30 दिसंबर से एक जनवरी तक का जेलभरो आंदोलन होगा। उन्होंने कहा, ये अन्ना का नहीं जनता का आंदोलन है।