4 महीने तक लो-कैलोरी डाइट, और शुगर गायब!

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डायबीटीज के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि सिर्फ चार महीनों तक कम कैलोरी वाली डाइट के बल पर इस बीमारी का इलाज हो सकता है।

नीदरलैंड की लीडन यूनिवर्सिटी की एक टीम का कहना है कि इस खोज से डायबीटीज के इलाज मंे क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। फिलहाल डायबीटीज का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इस स्टडी में पाया गया कि टाइप-2 डायबीटीज से ग्रस्त जिन लोगों ने रोज की अपनी डाइट में कैलोरी की मात्रा को कम किया उनकी स्थिति में दवाओं के मुकाबले काफी ज्यादा सुधार हुआ।

अखबार डेली एक्सप्रेस ने इस रिसर्च में अहम भूमिका निभाने वाले सेबस्टीयन हैमर के हवाले से कहा कि मरीजों को लंंबे समय तक इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ी। साथ ही उनके दिल के आसपास जमा होने वाले पेरिकार्डियल फैट के खतरनाक स्तर में भी कमी देखी गई। इसके अलावा खानपान में बदलाव से होने वाला असर स्थायी था।

इस स्टडी में शोधकर्ता कैलोरी इनटेक को कम करके वजन पर उसका असर देखना चाहते थे। विशेषज्ञों ने इन स्टडी का स्वागत किया है। क्योंकि खानपान में इस तरह के बदलाव से डायबीटीज के बाद दिल के दौरे की बढ़ी हुई आशंका को भी कम किया जा सकता है।

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने 15 मरीजों के दिल के कामकाज और उसके आसपास मौजूद पेरिकार्डियल फैट पर नजर रखी। इन 7 पुरुषों और 8 महिलाओं को चार महीनों तक हर दिन 500 कैलोरी वाला खाना दिया गया। चार महीने बाद देखा गया कि इनका बॉडी मास इंडेक्स 35.3 से घटकर 27.5 तक आ गया, पेरिकार्डियल फैट में भी कमी आई।

लो कैलोरी डाइट

एक दिन में 800 कैलोरी या उससे कम एनर्जी देने वाली डाइट को लो कैलोरी डाइट कहते हैं। इस तरह की डाइट में कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें पूृरी तरह से मना होती हैं। इनकी जगह प्रोटीन से भरपूर चीजें ली जाती हैं। इनसे ना केवल शरीर का वजन तेजी से कम होता है बल्कि बॉडी मास इंडेक्स में भी कमी आती है। इसे खास तौर पर टाइप -2 डायबीटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है। हालांकि लंबे समय तक इस डाइट पर रहने से भी गॉल ब्लैडर की पथरी , कब्ज जैसी कुछ बीमारियों का खतरा है।