फर्रुखाबाद: सपा नेता उर्मिला राजपूत के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने सदर तहसील में जमा होकर महंगाई व भ्रष्टाचार के विरोध में लगभग दो दर्जन बुग्गियो के साथ आवास विकास कालोनी स्थित लोहिया प्रतिमा तक जुलुस निकला। इससे सपा या उर्मिला रजपूत को कोई लाभ हुआ या नही, परंतु बालू खनन की अनुमति दिलाये जाने के झांसे पर लाये गये बुग्गी चालकों यह मंहगा अवश्य पड़ा। सुबह से ही भूखे प्यासे लगे बेचारे बुग्गी चालकों की एक दिन की दहाड़ी भी मारी गयी।
बुधवार को निकले जुलूस में उर्मिला राजपूत के साथ उनके बचे खुचे समर्थको के साथ लगभग दो दर्जन बुग्गी भी मौजूद थी। उर्मिला राजपूत ने तहसीलदार को बुग्गी वाहनों को बालू उठाने के अनुमति व बाढ़ पीड़ित किसानो को उचित मुआवजा दिया जाये व डीजल पेट्रोल की विरद्धि को लेकर ज्ञापन तहसीलदार को भी दिया इन गरीब व मजबूर बुग्गी चालको की याद उर्मिला राजपूत को तब आई जब सपा से सदर प्रत्याशी की टिकट कट गयी जिसकी पुनः मिलने की उम्मीद में शायद ये जुलुस निकालकर अपनी ताकत का अहसास कराया|
बुग्गी चालको को बालू खनन की अनुमत मिले या न मिले परन्तु उर्मिला की चुनावी स्थिति पुनः मजबूत होगी| उर्मिला बैलगाड़ी पर सवार होकर यूं निकली मानो अभी-अभी चुनाव जीता हो| लोग उर्मिला राजपूत के नारे लगा रहे थे जिससे उनका तो पेट भर गया लेकिन बुग्गी चालको को झूटे आश्वासन के सहारे सुबह से लेकर शाम तक नेताजी की तरफ ललचाई नजरो से देखते रहे की अब जिस तरीके से हमें १०० रूपए किराया देना का वादा किया गया था जो नेताई भाषण में ऐसे दब गया मानो हाथी के पैर के नीचे चीटी लेकिन नेताजी तो अपने भाषणों में मस्त थे आज एक और बात सत्य साबित हुई कहते है बुरे वक़्त में चूहा भी काम आता है ऐसा ही उदहारण सपा के इस जुलुस में देखने को मिला| कभी बड़ी-बड़ी गाड़ियो में चलने वाले नेताजी को आज बेचारे गरीब मजबूर बुग्गी वालो ने अखबार की सुर्खियों में ला दिया|
बुग्गी चालको के अनुसार सपा नेताओ ने कुछ तो रूपए का आश्वासन देकर बुलाया तो कुछ को जबरदस्ती जुलुस में शामिल कर लिया| मरता क्या न करता बेचारे डरते-डराते जुलुस में शामिल तो रहे लेकिन बंद जुबान से रूपए न मिलने के कारण काफी दुखी दिखाई दिए| बुग्गी चालक लाल टोपी लगाये थे लेकिन उन्हें ये नही पता की ये टोपी किसने पहनाई और क्यों पहनाई| कौन किसे टोपी पहना गया यह बात अशिक्षित बुग्गी चालको के दिमाग के ऊपर से निकल गयी| लेकिन इतने मुर्ख भी नही थे बुग्गी चालक मामला कुछ-कुछ समझ तो रहे थे कुछ ने तो कह भी दिया कि हमें क्या मिला “सारा मज़ा तो नेताजी ले गए उनकी तौ टिकट पक्की हुई गयी” हम लोग तो सुबह से शाम तक भूखे रहे व बैलो को भी चारा पानी नही हो पाया| ढाई सौ रूपए की रोजी भी नही हुई लेकिन इसकी दूसरी तरफ कुछ बुग्गी वाले रोविले मिजाज के थे जिनने सीधा कह दिया “हम तो नेताजी के आदमी है हम कच्छु नही बतायेगे हम तो उन्ही का खाते है चलो भाई चलो” ये कह कर बुग्गी वाले चले गए लेकिन ये नही बता गए की वो नेताजी का क्या खाते है और कैसे खाते है|
चौक बाजार पर सपा समर्थको ने नारे बजी करते हुए चार पुराने अखबारों को लकड़ी में लपेट कर आग के हवाले कर दिया| बगल में खड़े युवक राजेंद्र के मुंह से ही निकल गया अरे भैया अखबार तो देख के जलाते इसमें तो मुलायम सिंह की तस्वीर थी तो आखिर ये पुतला किसका जला रहे है केंद्र सरकार का या मुलायम सिंह का| यह भ्रष्टाचार यात्रा चौक से लोहिया मूर्ति पर आ कर नारों की गर्जना के साथ समाप्त हो गयी|