फीस वसूली को लेकर निजी स्कूलों की मनमर्जी पर अंकुश लगाएं डीएम

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लखनऊ: पहली से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित करने वाले निजी (मान्यताप्राप्त अनानुदानित) स्कूलों की मनमानी फीस वसूली रुक नहीं रही है। फीस वसूली को लेकर निजी स्कूलों की मनमर्जी पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि यदि कोई स्कूल शासन के आदेश का पालन नहीं करता है तो उसकी मान्यता वापस लेने की कार्यवाही करायी जाए।

जिलाधिकारियों को जारी किये गए आदेश में कहा गया है कि निजी स्कूलों द्वारा छात्रों से शिक्षण शुल्क और महंगाई शुल्क मिलाकर उतना ही मासिक शुल्क लिया जाएगा जो शिक्षकों, एक लिपिक और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के वेतन का भुगतान करने के अलावा अध्यापक/कर्मचारी कल्याणकारी योजना अंशदान वहन करने के लिए पर्याप्त हो। वेतन भुगतान के बाद स्कूल प्रबंधन को शुल्क आय के 20 प्रतिशत से अधिक बचत न हो। जिलाधिकारियों को यह भी कहा गया है कि निजी स्कूल द्वारा शिक्षण शुल्क में तीन साल तक कोई वृद्धि न की जाए। शुल्क में जब बढ़ोतरी की भी जाए तो वह 10 प्रतिशत से अधिक न हो।

निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण, महंगाई, विकास, बिजली पानी आदि, पुस्तकालय एवं वाचनालय, विज्ञान, श्रव्य, क्रीड़ा, परीक्षा/मूल्यांकन, विद्यालय समारोह/उत्सव, कम्प्यूटर व संगीत जैसे विशेष विषयों की शिक्षा के मदों में ही शुल्क वसूला जाएगा। पंजीकरण शुल्क, भवन शुल्क और कैपिटेशन के रूप में विद्यार्थियों से किसी किस्म की फीस लेना प्रतिबंधित है। गौरतलब है कि इस संबंध में विगत 19 मई को शासनादेश जारी हुआ था जिसमें निजी स्कूलों को मान्यता देने की शर्ते निर्धारित करते हुए शासन ने फीस का ढांचा तय किया था