सोमवार को भाजपा ने माया सरकार के छह अधिकारियों पर हमला बोला है। भाजपा ने नोएडा में हुए आवास घोटाले की शिकायत लोकायुक्त की। भाजपा राष्ट्ररीय सचिव किरीट सोमैया ने लोकायुक्त से की गयी शिकायत में आरोप लगाया कि नोएडा में आवास के नाम पर निजी फर्मो को जो जमीन आवंटित की गयी उसमें 8000 करोड़ रुपये से भी अधिक का घोटाला किया गया। उन्होंने नोएडा चेयरमैन, सीईओ, ओएसडी, पूर्व व वर्तमान मुख्य सचिव व एक अन्य अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया का कहना है कि लोकायुक्त की जांच का दायरा बड़ा होता जिसमें मुख्यमंत्री पद आता तो शायद मायावती को अब लोकायुक्त की नोटिस जारी हो चुकी होती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लोकायुक्त के दायरे में न आने के कारण जांच थम सी जाती है। सोमवार को नोएडा आवास घोटाले को उजागर करते हुए श्री सोमैया ने कहा कि नोएडा में 38,22,000 वर्ग मीटर जमीन कुछ निजी कम्पनियों को नियमों का ताख पर रख कर आवंटित की गयीं। कई कम्पनियों के निदेशक एक ही हैं तो कई कम्पनियों के पते समान हैं बावजूद इसके उन्हें जमीन दे दी गयी। जमीन देने में सर्किल रेट का ध्यान नहीं रखा गया।
सोमैया ने कहा कि नोएडा में 16000 करोड़ रुपये की जमीन दी गयी जबकि यदि सर्किल रेट से जमीन दी जाती तो सरकार को 24000 करोड़ रुपये मिलते जबकि यदि बाजार भाव से जमीन का आवंटन होता तो शायद रकम इससे भी अधिक होता। जमीन देने में बोली, व निलामी प्रकिया भी नहीं अपनायी गयी बस आंखे बंद जमीन चहेतों को दे दी गयीं। लोकायुक्त से की गयी शिकायत में उन्होंने नोएडा में ओएसडी पद पर तैनात यशपाल त्यागी का नाम प्रमुखता से लिया। श्री सोमैया ने बताया कि उन्होंने लोकायुक्त से की गयी शिकायत में यह कहा है कि आखिर क्या कारण हैं कि यशपाल त्यागी की सहमति के बगैर जमीन की खरीद फरोख्त नहीं होती। शिकायत में पूर्व सचिव इंडस्ट्री अतुल कुमार गुप्ता व अनूप कुमार मिश्रा, नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन मोहिन्दर सिंह तथा सीईओ रमा रमण तथा वीके शर्मा को भी घोटाले में शामिल बताया है।
ज्ञात हो कि मिश्रा इन दिनों यूपी के मुख्य सचिव हैं। सोमैया ने कहा कि बीते दस वर्षों में प्रदेश में उतनी जमीन नहीं बेची गयी जितनी जमीन माया सरकार ने दो वर्षों में बेच दी। उनका कहना है कि माया सरकार ने चहेते व्यापारियों को सरकारी धन पर व्यापार करने की सहूलियत दे रखी हैं जिसके तहत जमीन के सौदे के बाद रकम अदा करने के लिए भी तीन वर्ष का समय दिया जो सरकारी नियमों के पूरी तरह से खिलाफ है।