फर्रुखाबाद: दुनिया के सबसे बडे देशों में गिनती रखने वाले भारत देश की सरकार आज आजादी के 60 साल बाद भी कितना लाचार है, यह बात किसी भी देशवासी से छिपी हुई नही है | बात चाहे खाने में मिलावट करने वालों की हो या आटों-टैक्सी वालों की |
झोलाछाप डाक्टरों के विरुद्ध सरकार कई सालों से अनेक प्रकार के कानून बनाकर और बार-बार समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर इन लोगो पर नकेल कसने की नाकाम कोशिश कर रही है | नतीजा ढाक के वही तीन पात | यह लोग आम जनता को गुमराह करते हुए हर बीमारी का शर्तिया इलाज करने के दावे के नाम पर लोगो से रोज हजारों रुपये ऐंठ लेते है | कानून के अभाव में इनके खिलाफ न तो कोई शिकायत होती और न ही इनकी सजा के बारे में कुछ किया जाता है |
वाक्या है थाना शमसाबाद क्षेत्र के फैजबाग पीएचसी की जहां शुक्रवार को किसी भी डाक्टरों की मौजूदगी न होने पर वहां के झाडू लगाने वाले चपरासी ने गले में आला, व हांथों में इंजेक्शन थामे मरीजों का इलाज करने में जुटा पाया गया|
इस अस्पताल के डॉ साहब की गैरमौजूदगी में नितिन जो कि चपरासी है डॉक्टर बन बैठा है| JNI की टीम के पूंछे जाने पर उसने बताया की डॉ कमलेश ने ही मरीजों का इलाज करने को कहा है इसलिए उनके बताये अनुसार मरीजों को बोतलें व इंजेक्शन ठोंक रहे हैं| बरघैन निवासी जमीला पत्नी शफीउल हसन व कमरुल पुत्र अमीर हैदर जो कई दिनों से क्रमशः पेट दर्द व बुखार से पीड़ित थे| इनको दवा देने के एवज में चपरासी बना डाक्टर अपनी मुट्ठी भी गर्म करता जा रहा था| जब डॉ कमलेश से फोन पर पूंछा गया कि आप के अस्पताल में चपरासी इलाज कर रहा है और वह बता रहा है कि आप ही ने उसे इलाज करने को कहा तो डाक्टर ने इस बात से साफ़ मना कर दिया|
ऐसे डाँक्टर सिर दर्द से लेकर कैंसर और दिल के रोगों का इलाज अपने पास रखी चन्द गोलियों से ही कर लेते है | यह् छोलाछाप डाँक्टर ऐसी बीमारियों का भी इलाज करने का दावा करते है | जिसका नाम तक इन की सात पुश्तों ने भी कभी नहीं सुना होता | अब कहने को तो यह बेचारे अपमी तहफ से पूरी कोशिश करते है | लेकिन, फिर भी मरीज की मौत हो जाए, तो सारा दोष उनकी किस्मत या भगवान के सिर मढ्ने में एक मिनट की भी देरी नही लगाते |