फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) मौसम के बदलाव होते ही सांस के पुराने एवं नए मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। अस्थमा यानी दमा के पुराने मरीजों की सांस उखड़ रही है। क्रोनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी का अटैक पड़ने से दम फूलने लगता है,जिससे चलना-फिरना दुश्वार हो जाता है।विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में बदलाव के चलते ब्रेन से स्टेरॉयड हॉर्मोंस का रिसाव प्रभावित होता है।मौसम के साथ ही हार्मोंस में भी बदलाव होने लगता है। इससे सांस उखड़ने लगती है।भोर दो से चार बजे तक स्टेरायड हार्मोंस कम निकलता है। यही वजह है कि भोर पहर में सांस उखड़ने, दम फूलने और दम घोंटू खांसी की समस्या ज्यादा होती है।मौसम के बदलते के साथ ही अस्पतालों की ओपीडी और इमरजेंसी में सांस के मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण के कारण वातावरण में सूक्ष्म कण बढ़ जाते हैं। जो दिखाई नहीं देते परंतु यह सांस के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश कर समस्या को बढ़ा देते हैं। इससे बचाव के लिए पांच ग्राम अदरक,15 तुलसी के पत्ते,एक काली मिर्च को 200 मिली पानी में उबाले। जब पानी 50 मिली बचे तो उसमें शहद मिलाकर उसे काढ़े की तरह उपयोग करें। इसका उपयोग सुबह नाश्ते के बाद और रात में भोजन के बाद कर सकते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और नाक,गले में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।