आजादी के चार दिन पूर्व ही शहीद हो गये थे ‘आजाद’

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) अमर शहीद क्रन्तिकारी प० रामनारायण आजाद के शहादत दिवस पर उन्हें पुष्पांजली अर्पित कर याद किया गया| सभी को उनकी शौर्य गाथा से भी अवगत कराया गया| वक्ताओं नें कहा की क्रांतिकारियों को बम व पिस्टल सप्लाई किया करते थे|
शहर के साहबगंज स्थित आजाद भवन में उनके पौत्र बॉबी दुबे नें कार्यक्रम का आयोजन किया| जिसमे पंहुचे शहीद सुखदेव थापर के पौत्र अनुज थापर नें बताया कि क्रांतिकारी प. रामनारायण आजाद देश के बड़े क्रांतिकारी थे| उन्हें काम करनें का सबसे अधिक मौका मिला | 1912 से 1947 तक उन्होंने नें अनेकों कारनामें किये| जो आजादी की लड़ाई में अहम थे | डॉ. शिव ओम अम्बर नें कहा कि आजाद से आज के युवाओं को प्रेरणा लेनें की जरूरत है| बॉबी दुबे नें उनके क्रन्तिकारी जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरफरोशी दिल में है तो और सिर पैदा करो, नौजवानों ! ¨हद में फिर से गदर पैदा करो। फूंक दो बरबाद कर दो आशियां अंग्रेज का, अब तो दिल में हूक उठती कुछ करो या फिर मरो।’ देश भक्ति के अपने इसी गीत से युवाओं में क्रांति की धारा सींचने पर 1921 को आजाद को 6 माह के लिए जेल में कैद किया गया। एक और ‘आजाद’ क्रांतिवीर रामनारायण दुबे का जीवन देश को विदेशी दासता से मुक्त कराने की गौरवमयी गाथा है। 18 अक्टूबर 1898 में उनका जन्म शहर के साहबगंज चौराहे के पास शिव मंदिर परिसर स्थित मकान में उस मां बादामो देवी की कोख से हुआ, जिन्होंने लोगों से चंदा एकत्र कर गांधीजी को भेंट किया और स्वाधीनता आंदोलन में खुशी-खुशी जेल की सलाखों के पीछे रहने को तनिक भी न घबराईं। आजाद 1926 में घर से गिरफ्तारी पर एक वर्ष व 1930 में नमक आंदोलन में दो वर्ष 6 माह सजा हुई। 1932 में 6 माह और फिर 1942 में वह चार साल नजरबंद रहे। स्वाधीनता से चार दिन पूर्व ही दुनिया से विदा ले गये। 10 अगस्त 1947 को उनके घर पर ही एक गद्दार ने सीने में गोली मार दी।
इस दौरान स्वतन्त्रता सेनानी कमेटी जिलाध्यक्ष रितेश शुक्ला, आदित्य दीक्षित, रमेश चन्द्र त्रिपाठी, प्रबल त्रिपाठी, वैभव सोमवंशी, सरल दुबे, अनिल प्रताप सिंह , रवि शंकर चौहान , विमल दुबे, इकलाख खां, दिनेश मिश्रा आदि रहे |