लखनऊ:प्रदेश सरकार रायबरेली के बाद अब महोबा में पिछले तीन वर्षों के पौधारोपण की जांच कराने जा रही है। जिस प्रकार सेटेलाइट की मदद से रायबरेली में नगर वन का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था उसी प्रकार अब महोबा में भी तकनीक की मदद से पौधारोपण के घोटालेबाज पकड़ने की तैयारी है। यह जिम्मेदारी वन विभाग के आइटी सेल को सौंपी गई है।सेटेलाइट की मदद से उन स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है जहां हरियाली कम दिख रही है। इन्हीं स्थानों पर टीम मौके पर जाकर जांच कर अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी। दरअसलपिछले दिनों वन विभाग के आइटी सेल ने सेटेलाइट की मदद से रायबरेली में नगर वन का फर्जीवाड़ा पकड़ा था।रायबरेली के अधिकारियों ने 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नगर वन स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा था। इसमें जो जगह चिह्नित की गई थी उसकी जब सेटेलाइट से जांच की गई तो सारी पोल खुल गई। यहां 44 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पहले से हरियाली थी मात्र छह हेक्टेयर क्षेत्रफल ही शेष था। बाद में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष ने नगर वन के इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया था। पिछले दिनों वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों महोबा वन प्रभाग के पौधारोपण क्षेत्रों का निरीक्षण किया तो उन्हें भी यहां बहुत सारी कमियां नजर आईं।इसी को देखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे ने महोबा वन प्रभाग में वर्ष 2020, 2021 व 2022 में हुए पौधारोपण की जांच कराने का निर्णय लिया है। इसकी जिम्मेदारी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक आइटी विष्णु सिंह को सौंपी गई है।उनके साथ मुख्य वन संरक्षक नीरज कुमार व वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मनीष मित्तल को सदस्य के रूप में लगाया गया है। महोबा में पिछले तीन वर्षों में 423 स्थानों पर करीब 7800 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधारोपण हुआ है। जांच टीम सबसे पहले सेटेलाइट की मदद से उन क्षेत्रों को चिह्नित कर रही है जिनमें कुछ गड़बड़ियां नजर आ रही हैं। सेटेलाइट की पुरानी फोटो के साथ नई फोटो का मिलान किया जा रहा है। उन स्थानों को देखा जा रहा है जहां पौधारोपण कागजों पर हुआ है। ऐसे स्थानों को चिह्नित करने के बाद जांच टीम मौके पर जाकर हकीकत देखेगी। इसके बाद जांच रिपोर्ट विभागाध्यक्ष को सौंपी जाएगी। इसमें जो भी दोषी मिलेंगे उन पर कार्रवाई होगी।