एक हत्या नें बदले थे फर्रुखाबाद सदर सीट के सियासी मायने

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फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) यूपी की राजनीति में फर्रुखाबाद की सदर सीट का अहम किरदार रहा है| कभी केबल कांग्रेस और भाजपा के ही खाते में जानें वाली सदर सीट के इतिहास में सन 1997 की तारीख खून की सियाही से लिखी है| जिसने सदर सीट के राजनैतिक ताने-वानें और समीकरण को ही बदल कर रखा दिया था|  फर्रुखाबाद सदर सीट पर 3,69,982 मतदाता मतदान के लिए तैयार है|
वैसे तो फर्रुखाबाद की सदर सीट का ताल्लुक राममनोहर लोहिया, पूर्व राष्ट्रपति डॉ०  जाकिर हुसैन व राष्ट्रीय कवियत्री महादेवी वर्मा के नाम के साथ जुड़ा है| जिले में नमकीन का कारोबार भी देश में प्रसिद्ध है| फर्रुखाबाद सदर सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्ज़ा है| यहां से मेजर सुनील दत्त द्विवेदी विधायक हैं|  फर्रुखाबाद सदर सीट पर 1951 से लेकर अब तक अधिकांश बार इस सीट पर कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है|  यहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला जनसंघ व व भारतीय जनता पार्टी से ही रहा है|  लेकिन मंडल की राजनीति के बाद से कांग्रेस कमज़ोर पड़ी और समाजवादी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर कर सामने आयी|  2012 के परिसीमन के बाद जनपद की विधान सभाओं का भूगोल बदल गया|  सदर सीट में परिसीमन से पहले शहरी क्षेत्र के साथ गंगा के पार का भी इलाका जुड़ा था|  लेकिन परिसीमन के बाद गंगा के पार का इलाका नई सृजित विधान सभा अमृतपुर मे जुड़ गया| अब सदर विधानसभा में शहरी क्षेत्र के साथ साथ शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र हैं|
फर्रुखाबाद की राजनीतिक भूमि पर नजर 
फर्रुखाबाद जनपद कानपुर मंडल का जिला है| जो कानपुर से 140 किलोमीटर व सूबे की राजधानी लखनऊ से 210 किलोमीटर व देश की राजधानी दिल्ली से 325 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| जनपद की मुख्य सीट फर्रुखाबाद सदर है. सदर विधानसभा का सृजन देश के पहले आम चुनाव के समय से ही हुआ था|  राजनीतिक रूप से इस सीट का इतिहास काफी महत्वपूर्ण है| सदर सीट पर प्रारम्भ से ही कांग्रेस व जनसंघ व उसके बाद भाजपा से सीधा मुकाबला रहा| लेकिन वर्ष 1997 में एक राजनीतिक हत्या के बाद समीकरण तेज़ी से बदले और और कांग्रेस लड़ाई से बाहर होती चली गयी| वर्ष 1997 में भाजपा के कद्दावर नेता व मौजूदा विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या हुई और हत्या का आरोप स्थानीय नगरपालिका परिषद के पति विजय सिंह पर लगा| विजय सिंह ने भी 2002 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस सीट पर जीत दर्ज की| सदर सीट पर वर्ष 1957 में रामकृष्ण सारस्वत कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते|  वहीं 1962 में दयाराम शाक्य ने जनसंघ प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की|  1967 व 1969 के चुनाव में महरम सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की| 1974 में विमल प्रसाद तिवारी ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की|  वर्ष 1977 में ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप मे जीत दर्ज करायी| कांग्रेस प्रत्याशी विमल प्रसाद तिवारी को शिकस्त दी थी. वहीं 1991व 1993 व 1996 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई| ब्रह्म दत्त द्विवेदी की जीत की हैट्रिक के द्विवेदी भाजपा में एक कद्दावर नेता के रूप मे उभर कर आए और भाजपा सरकार में मंत्री भी बने. लेकिन फरवरी1997 में वर्तमान विधायक ब्रह्म दत्त  की हत्या कर दी गयी.  द्विवेदी की हत्या के बाद सदर सीट पर बड़ा परिवर्तन आया और द्विवेदी की हत्या के आरोपित हुए विजय सिंह भी एक नेता के रूप में उभर कर सामने आए| द्विवेदी की हत्या के बाद 1997 के उप चुनाव में में उनकी पत्नी प्रभा द्विवेदी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर सूबे की सरकार में मंत्री बनीं| लेकिन 2002 के आम चुनाव में प्रभा द्विवेदी को उनके पति की हत्या के आरोपी विजय सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हरा कर जीत दर्ज की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर विजय सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए| 2007 व 2012 के चुनाव में विजय सिंह ने स्व. ब्रह्म दत्त द्विवेदी के बेटे व मौजूदा विधायक सुनील दत्त द्विवेदी भाजपा प्रत्याशी को शिकस्त दी| वहीं 2007 में विजय सिंह ने समाजवादी पार्टी से चुनाव जीत कर सीट से इस्तीफा दिया और  उपचुनाव में बसपा के अनन्त मिश्र ने जीत दर्ज की थी| वहीं वर्ष 2017 की भाजपा लहर में सुनील दत्त द्विवेदी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में ऐतिहासिक जीत विजय सिंह को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया और बसपा प्रत्याशी उमर खान दूसरे स्थान पर रहे|
विविध
फर्रुखाबाद जनपद की राजनीति में बड़ा बदलाव वर्ष 1997 में भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या के बाद प्रारम्भ हुआ| 1997 से पहले फर्रुखाबाद मध्य, उत्तर प्रदेश में भाजपा की राजनीति का केंद्र बिंदु था| लेकिन द्विवेदी की राजनीतिक हत्या के बाद सबकुछ बदल गया| द्विवेदी की हत्या के आरोप में विजय सिंह वर्तमान में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं
सदर सीट से अब तक जीते विधायक
1952 अवधेश चंद्र सिंह कांग्रेस, 1957 रामकृष्ण सारस्वत कांग्रेस, 1962 दयाराम शाक्य जनसंघ, 1967 महरम सिंह कांग्रेस, 1969 महरम सिंह कांग्रेस, 1974 विमल प्रसाद तिवारी कांग्रेस, 1977 ब्रह्मदत्त द्विवेदी जनता पार्टी, 1980 विमल प्रसाद तिवारी कांग्रेस, 1985 ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा, 1989 विमल प्रसाद तिवारी कांग्रेस, 1991 ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा, 1993 ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा, 1996 ब्रह्मदत्त द्विवेदी भाजपा, 1997 डा. प्रभा द्विवेदी भाजपा, 2002 विजय सिंह निर्दलीय, 2007 विजय सिंह सपा,  2007 अनंत मिश्र ‘अंटू बसपा, 2012 विजय सिंह निर्दलीय, 2017 मेजर सुनील दत्त द्विवेदी भाजपा|
फर्रुखाबाद सदर सीट का जातीय समीकरण
फर्रुखाबाद सदर सीट गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र भी माना जाता है| सदर सीट पर अनुमानित 55 हज़ार मतदाता ब्राह्मण समाज से व 25हज़ार वैश्य व 70 हजार मुस्लिम व 18हजार क्षत्रिय, 24हज़ार यादव, 20हजार कुर्मी, 20हजार बाथम, 38हजार लोधी, 35 हज़ार शाक्य व 50 हजार अनुसूचित वर्ग के मतदाता हैं|