डेस्क– दुनियाभर में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक करना है। बीते कुछ दशकों में जिस तरह से मृदा अपरदन हो रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है और प्रदूषण फ़ैल रहा है, इनसे पृथ्वी की भारी क्षति हो रही है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी की गुणवत्ता, उर्वरता और महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है।इसी के मद्देनजर कुछ देश बड़ी गंभीरता और तत्परता से पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
एमआईटी टेक्नोलॉजी द्वारा जारी किए गए ग्रीन फ्यूचर इंडेक्स में आइसलैंड, डेनमार्क, नार्वे, फ्रांस और आयरलैंड क्रमश: पहले से पांचवें स्थान पर है। आइसलैंड ने जहां कॉर्बन उत्सर्जन को लेकर काबिलेतारीफ काम किया है, वहीं डेनमार्क और नार्वे ने जीवाश्म ईंधन की दिशा में अच्छा काम किया है। फ्रांस ने हाइड्रोजन इंडस्ट्री के विकास पर उत्कृष्ट कार्य किया है। इस सूची में निचले पायदान पर रूस, पैराग्वे और कतर हैं। इस सूची में शीर्ष 20 देशों में से 15 यूरोप में हैं। गैर-यूरोपियन देशों में सबसे अच्छा काम कोस्टारिका (सातवें) और न्यूजीलैंड (आठवां) का है।
ग्रीन फ्यूचर इंडेक्स को जारी करते समय पांच पैमानों को ध्यान में रखा गया था। ये पैमाने कॉर्बन उत्सर्जन, एनर्जी ट्रांजिशन, ग्रीन सोसाइटी या नागरिकों के पर्यावरण को बेहतर बनाने को लेकर संकल्प, क्लीन एनर्जी में इनोवेशन और क्लाइमेट पॉलिसी थे।
एशियाई देशों में भारत की स्थिति बेहतर:ग्रीन फ्यूचर इंडेक्स में एशियाई देशों में भारत की स्थिति बेहतर है। भारत इस सूची में 21 वें पायदान पर है। इंडेक्स में भारत की स्थिति चीन और पाकिस्तान से काफी बेहतर है। चीन जहां इंडेक्स में 45 वें नंबर पर है, वहीं पाकिस्तान 67वें स्थान पर है और बांग्लादेश 69वें नंबर पर है। मलेशिया और इंडोनेशिया क्रमश: 56 और 57वें नंबर पर हैं।