फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जीवन सीढ़ी नहीं, पहिया है जो पूरा चक्कर लगाता है, लेकिन कोई भी इस पहिये के भयावहस्वरूप को महसूस नहीं करना चाहता। जबकि यह सच है जो आज हम अपने माँ-बाप के साथ करेंगे समय के पहिये के नीचे एक बार हम भी होंगे| जिस माँ ने नौ महीनें अपनी कोख में रखने के बाद बेटा जना घर में ढोल नगाड़े बजे| वह इस लिए बजे कि बेटा बड़ा होकर बुढापे का सहारा बनेगा| लेकिन वक्त की चकाचौध में बेटा अपने फर्ज और माँ के कर्ज दोनों को भूल गया| जिसके बाद वृद्ध माँ नें कोर्ट का दरबाजा खटखटाया| कोर्ट नें मामले को गंभीरता से लेकर कलयुगी बेटे-बहू को घर से बाहर निकालने के आदेश दिये हैं|
शहर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मसेनी निवासी 67 वर्षीय शांतिदेवी पत्नी काली चरण नें अधिवक्ता डॉ० दीपक द्विवेदी के द्वारा उपजिलाधिकारी सदर के न्यायालय में वाद दायर किया| जिसमे शांतिदेवी नें कहा कि उनके पांच संताने हैं| जिसमे से दो पुत्रियों का विवाह हो गया है वह अपनी ससुराल में हैं| जबकि तीन बेटे अलग-अलग मकान बनवाकर रहने के लिए दे दिया गया है| जिसमें उनका एक पुत्र देवकुमार राठौर व बहू सुनीता अपने मकान के अलावा शांति देवी के अलग बने मकान में आकर जबरदस्ती रहनें लगा है| वह खानें-पीने और दवाई का कोई ध्यान नही रखता| आये दिन मारपीट करता है| भरन-पोषण के लिए आर्थिक मदद भी नही देते| उनसे आरोपी बेटे-बहू से हत्या का खतरा है|
एसडीएम सदर व अध्यक्ष भरण-पोषण अधिकरण अनिल कुमार नें मामले को सुनने के बाद आदेश में कहा कि यह गंभीर मामला है कि जिस माँ के तीन बेटे अलग-अलग मकना में रहते है उनके पास माँ को भरण-पोषण की समस्या है| लिहाजा शांति देवी के मकान में रह रहे उनके पुत्र देवकुमार को दो महीनें के भीतर माँ के घर बाहर निकलने के आदेश दिये| यदि शान्ति देवी का घर खाली नही किया तो शहर कोतवाल पुलिस बल के साथ उसे घर से बाहर करें|
आदेश के दौरान सुलह समझौता अधिकारी प्रबल त्रिपाठी रहे|