फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सूर्य की उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय खाय से शुरू हो गया। गुरुवार को खरना हुआ। व्रतधारी 21 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य देंगे। कहा जाता है कि छठी माता सूर्य देवता की बहन हैं। छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं। यह पूजन परिवार में सुख, शांति तथा संतान के सुखी जीवन के लिए किया जाता है। छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। जिसके चलते दूसरे दिन खरना व्रत का आयोजन घरों में किया गया| महिलाओं नें दिन पर व्रत रहने के बाद शारीरिक और मानसिक शुद्धि की प्रक्रिया के प्रतीक खरना का व्रत विधि विधान से किया| इसके बाद रात में भोजन करने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू हो गया|
शहर में व्रत रखने वाली महिलाओं नें खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया| इसमें गुड़ और चावल की खीर के साथ ही पूड़ियां, खजूर, ठेकुआ आदि बनाया जाता है। पूजा के लिए मौसमी फल और कुछ सब्जियों का भी उपयोग किया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाओं ने इस प्रसाद को छठी मैया को अर्पित किया। खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर व्रत प्रारंभ किया गया। छठ पूजा का प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे पर केबल आम की लकड़ी का ही प्रयोग हुआ|
क्या है खरना: छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्यक्ति को खरना के पूरे दिन व्रत रखना पड़ता है। उसके बाद रात को खीर खायी जाती है फिर सूर्योदय में अर्घ्य देकर पारण करने तक कुछ नहीं खाया जाता और न ही जल ग्रहण किया जाता है। खरना एक प्रकार से शारीरिक और मानसिक शुद्धि की प्रक्रिया है। इसमें रात में भोजन करने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है।
बीडीओ राजेपुर श्रीप्रकाश उपाध्याय के बढ़पुर विकास खंड के आवास पर भी ऊषा उपाध्यय और कुसुम उपाध्यय नें खरना का विधि-विधान से व्रत व पूजन किया| परिजनों नें आतिशबाजी चलायी| पूर्वांचल विकास समिति के सदस्य अतुल शर्मा, केदार नाथ शाह आदि नें पांचाल घाट पर जाकर साफ की व्यवस्था देखी| घर में पूजन के दौरान खंड विकास अधिकारी श्रीप्रकाश उपाध्याय नें बताया कि यह त्योहार उनका परिवार पूरी श्रद्धाभाव से मनाता है| जिसका इंतजार पूरी वर्ष किया जाता है| इस बार परिवार के साथ जाकर पांचाल घाट पर सूर्य को अर्घ देंगे|