लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून सीएए के विरोध को नजरअंदाज कर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है। नागरिकता देने के लिए प्रवासियों को सूचीबद्ध करने के निर्देश गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को दिए हैं। इस दिशा में कदम बढ़ाने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का कानून मोदी सरकार लाई है। विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। खास तौर पर उप्र में इसके खिलाफ काफी हिंसा हुई, जिसमें कई लोग मारे भी गए। इसी बीच सरकार ने नए कानून के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह उन शरणार्थियों को चिन्हित करें, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर यहां दशकों से रह रहे हैं। सूची इसलिए बनाई जा रही है, ताकि केंद्रीय गृह विभाग को वह भेजकर कानून के दायरे में आने वालों को विधिक रूप से देश की नागरिकता दिलाई जा सके। इस नए कानून पर काम करने वाला उप्र देश का पहला राज्य होगा।
अवैध प्रवासी भी होंगे चिन्हित
|कानून के तहत जिन प्रवासियों को नागरिकता नहीं दी जा सकती है, उन्हें भी चिन्हित कर सूचीबद्ध किया जाएगा। उनकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी।
कुछ जिलों पर खास नजर
शासन के वरिष्ठ अधिकारियों का अनुमान है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की संख्या काफी होगी, जबकि अफगानिस्तान से आने वालों की संख्या न के बराबर होगी। इसके अलावा अभी तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक लखनऊ, रामपुर, शाहजहांपुर, हापुड़, नोएडा और गाजियाबाद में शरणार्थियों की संख्या अधिक हो सकती है।