लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजभवन में शपथ ग्रहण के बाद सभी नए मंत्रियों के साथ लोक भवन में बैठक की। बैठक में उनके साथ पुराने मंत्री भी थे। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने नए मंत्रियों से दो टूक कह दिया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार से दूर रहें। इसके साथ साथ सभी को नसीहत दी कि सार्वजानिक जीवन में होने के नाते अपनी जिम्मेदारियों और कार्यों में परिवार का हस्तक्षेप न होने दें।
दो साल पांच माह चले कामकाज के इम्तिहान में फेल मंत्रियों की छुट्टी और बेहतर काम वालों की पदोन्नति। इस तरह काम के आकलन का स्पष्ट संदेश दे चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल के नए सदस्यों को पहले से ही अपनी मंशा से वाकिफ करा दिया है। शपथ के बाद चली सबक की पाठशाला में अनुशासन का पाठ पढ़ाने के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने दो टूक कह दिया कि भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लोक भवन में चली बैठक में परिचय के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने नए मंत्रियों को सरकार के कामकाज का तरीका भी समझाया। मुख्य मकसद तो सीख, सलाह और हिदायत देना था। उन्होंने सीख दी कि आपको जो भी जिम्मेदारी मिले, पहले उसे ढंग से समझ लें और विभागीय योजनाओं के लक्ष्य गंभीरता से पूरे कराने होंगे। ढाई साल की सरकार की उपलब्धियां जान लें और जनता को बताएं। सीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायतें नहीं मिलनी चाहिए। सरकार की नीति अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की है। संयम और सादगी से रहने की भी सलाह दी।
मंत्रियों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छे कार्य करने वालों को प्रमोट किया गया है। हम तो उत्तर प्रदेश को उपलब्धियों का प्रदेश बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने मंत्रियों को समझाया है कि अवसर को उपलब्धियों में बदलने की सोच के साथ काम करें।
मुख्यमंत्री ने अपने सभी मंत्रियों को काफी देर तक नैतिकता का पाठ पढ़ाया। इसके साथ ही उन्होंने प्रोन्नत सभी मंत्रियों को उनके अच्छे कामकाज तथा आचरण की बधाई भी दी। मुख्यमंत्री ने सभी से कहा कि मंत्री अपने पर्सनल स्टाफ की गतिविधियों पर भी नजर रखें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनसेवा से बढ़कर को धर्म और पुण्य का कोई अन्य कार्य नहीं है। प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ दायित्वों का निर्वहन करने से संतुष्टि मिलती है। सार्वजानिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण है। अवसरों को उपलब्धि के रुप में परिणत करना उन्नति है और अवसरों को खो देना अवनति है।
प्रोन्नत सभी मंत्रियों की तारीफ
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 18 नए चेहरे सामने आए हैं। पांच पुराने साथियों को प्रमोट किया गया है। अब इन 23 सहयोगियों की मदद से हमारी टीम और मजबूत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो लक्ष्य तय किया है हम सभी उसे हासिल करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। ग्राम्य विकास में प्रमोट हुए महेंद्र सिंह ने विभाग को 12 राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाए हैं। सुरेश राणा ने महज दो वर्ष में ही 72 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान कराने का काम किया है, इसीलिए उन्हें भी प्रमोट किया गया है। भूपेंद्र सिंह ने पंचायती राज में एक लाख से अधिक शौचालय बनवाए। अनिल राजभर ने बहुत काम किया है। नीलकंठ तिवारी ने भी बहुत अच्छा काम किया है। इन्हें प्रमोशन इनके कामों को देखते हुए दिया गया है। हमने प्रदेश में विकास के हर मोर्चे पर काम किया है, हर क्षेत्र में व्यवस्थाएं पहले से सुदृढ हुई हैं।
मंत्रिमंडल के नए चेहरों में 10 पहली बार विधायक
राज्य मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में 18 नए चेहरे शामिल हुए लेकिन, इनमें 10 ऐसे भी हैं जो पहली बार विधायक बने हैं और एक पहली मर्तबा विधान परिषद सदस्य। कैबिनेट मंत्री बनाये गए रामनरेश अग्निहोत्री और कमल रानी वरुण तो पहली बार विधानसभा की देहरी लांघने में कामयाब हुए हैं। अग्निहोत्री समाजवादी पार्टी के गढ़ रहे मैनपुरी की भोगांव सीट पर कमल खिलाकर सत्रहवीं विधानसभा के सदस्य बने तो कमल रानी कानपुर के घाटमपुर क्षेत्र से पहली बार विधायक चुनी गईं। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाये गए सतीश द्विवेदी सिद्धार्थनगर की इटवा सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और विधानसभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद पांडेय को पटकनी देकर विधानसभा में दाखिल हुए। स्वतंत्र प्रभार के मंत्री बनाये गए अशोक कटारिया भी पहली बार एमएलसी चुने गए हैं।
राज्य मंत्री की शपथ लेने वाले सात चेहरे भी पहली बार विधायक बने हैं। इनमें बलिया के विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला, मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट पर जीत दर्ज करने वाले विजय कश्यप, आगरा कैंट सीट पर भगवा परचम लहराने वाले गिर्राज सिंह धर्मेश, कानपुर के कल्याणपुर क्षेत्र की विधायक नीलिमा कटियार, सरकारी नौकरी के बाद चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में विजय पताका फहराने वाले चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, मीरजापुर की मडि़हान सीट से निर्वाचित रमाशंकर सिंह शामिल हैं। फतेहपुर की सिकंदरा सीट से विधायक रहे पिता मथुरा प्रसाद पाल के निधन के बाद हुए उपचुनाव को जीतकर सत्रहवीं विधानसभा में दाखिल हुए अजीत सिंह पाल भी पहली बार के विधायक हैं।