आखिर किसी भी जिले में जिला स्वस्थ्य अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, मुख्य विकास अधिकारी के लिए पोस्टिंग की बड़ी रकम खर्च करने को तैयार रहते है| ये लाखो करोडो की रकम चुका कर जिलों में पहुचे अधिकारी बस जाँच और कमियों को दूंढ़ कर घूस वसूलते है व्यवस्था सही नहीं करते|
जिले में मनरेगा योजना में 55 प्रतिशत जॉब कार्ड फर्जी है, ये बात मुख्य विकास अधिकारी से लेकर ग्राम सचिव तक जानता है कभी किसी अधिकारी ने पहल की इसे सही करने के लिए? शायद नहीं| और करेगा भी नहीं| जिले में कुल 82 हजार जॉब कार्ड धारको में से केवल लगभग 25 हजार के बैंक खाते है बाकि का भुगतान नगद होता है इन्ही में से आधे से ज्यादा फर्जी है| खाते इसीलिए नहीं खोले जाते क्यूंकि फिर घोटाला करना मुश्किल हो जायेगा और प्रधान/सचिव से लेकर अवैध माल चलते हुए मुख्य विकास अधिकारी तक कैसे आएगा| जबाब किसी के पास नहीं अगर है तो दो साल से केंद्र सरकार चिल्ला रही है कि जॉब कार्ड धारको के बैंक खाते खुलवाओ मगर आज तक नहीं खुले|
अगर ये अधिकारी खाते दो साल में भी नहीं खुलवा सकते तो घर क्यूँ नहीं चले जाते| वेतन जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स से मिलता है इसे क्यूँ लूट रहे हो बिना अपने कर्तव्यों का पालन किये| चर्चा तो यहाँ तक है कि एक बड़े साहब अपने बाबुओं पर विश्वास नहीं करते सीधे घूस की रकम खुद लेते है| विकास भवन के गलियारों में ये चर्चा आम है|