फर्रुखाबाद: गरीब को इससे बड़ी मुसीबत क्या होगी की पहले तो दो जून की रोटी के लाले और फिर ऊपर से उसके आशियाने में उसकी टूटी-गृहस्थी भी मकान गिरने से दब जाये| अब उसके लिये ना सिर छिपाने की जगह है ना पेट भरने के लिये अन्न का एक दाना| वह अब सरकार और उनके अफसरों की तरफ टकटकी लगाये देख रही है| अब मदद कब मिलेगी कब उसके घर का चूल्हा जलेगा, कब वह अपने ऊपर छत देख पायेगी| यह एक बड़ा सबाल खड़ा हो गया है|
मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सातनपुर का है जंहा 55 वर्षीय बेबा साधना शर्मा पत्नी चन्द्रकिशोर शर्मा वर्षो से एक टूटे-फूटे कच्चे घर में रह रही थी| पेट में अन्न का दाना ना हो लेकिन सिर छिपाने के लिये छत तो थी| लेकिन अब बीती रात अचानक महिला का कच्चा मकान भरभरा कर गिर गया| जिस समय मकान गिरा उस समय साधना अपने पुत्र 17 वर्षीय रोहित, 15 वर्षीय मोहित, 13 वर्षीय प्रिया, 12 वर्षीय प्रीती को लिये घर के बाहर बैठी थी |
रात तकरीबन 9 बजे उसका कच्चा मकान गिर गया| जिसमे उसके घरेलू टूटे-फूटे वर्तन, कपड़े व सबसे महत्वपूर्ण उनके घर में रखा आनाज तक मिट्टी में मिल गया| उसने अपनी पूरी रात खुले असमान के नीचे गुजारी| बीती रात से पूरा परिवार भूखा है| पड़ोसियों ने कुछ भोजन दे दिया लेकिन वह उनके लिये पर्याप्त नही था| साधना ने बताया की उनके पास माचिस तक के पैसे नही बचे| परिवार सड़क पर है|
एसडीएम सदर अजीत सिंह ने जेएनआई को बताया कि उन्होंने जाँच के लिये लेखपाल को मौके पर जाकर जाँच करने के निर्देश दिये है| लेखपाल की जाँच के बाद अग्रिम कार्यवाही को सकेगी| अब सबाल यह बनता है कि प्रशासन अपनी कागजी घोड़े दौड़ाने के बाद कई दिनों में सहायता दे सकता है और नही भी| लेकिन यदि उसके परिवार को भोजन आदि व्यवस्था नही हुई तो परिवार बरसात में कहा जायेगा|