सोशल मीडिया पर भी पंचायत चुनाव में आचार संहिता के दायरे में

Uncategorized

electionJNIDESK: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहली बार सोशल मीडिया को भी आदर्श आचार संहिता के दायरे में शामिल किया गया है। आयोग उम्मीदवारों के ट्वीटर, व्हाट्सएप फेसबुक आदि सभी सोशल साइटों पर चल रही चुनावी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगा। चुनाव प्रचार से संबंधित कानूनी प्रावधान सोशल मीडिया पर भी उसी तरह लागू होंगे जैसे किसी अन्य मीडिया के उपयोग पर लागू होते हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद अब सोशल साइटों पर चुनाव प्रचार का खर्चा भी उम्मीदवार के खाते में जुड़ेगा।

आयोग के दिशा-निर्देशों में स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर यदि किसी ने दूसरे उम्मीदवार की निजी आजादी में हस्तक्षेप किया तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है। सोशल साइटों पर व्यक्तिगत छींटाकसी करने पर भी आपराधिक मुकदमा दर्ज हो सकता है। इस पर निगाह रखने के लिए मीडिया सर्टीफिकेशन एंड मॉनिटङ्क्षरग कमेटी (एमसीएमसी) का गठन किया गया है जो ऐसे मामलों की विवेचना करेगी। उम्मीदवार को अपने ई-मेल और सोशल मीडिया अकाउंट की भी जानकारी निर्वाचन आयोग को देनी होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी अनिल कुमार दमेले ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन कराने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है। इसके लिए संबंधित अधिकारी को आगाह कर दिया गया है।

पांच श्रेणियों में बांटी सोशल मीडिया

आयोग ने सोशल मीडिया को पांच श्रेणियों में बांटा है, जिनमें सहयोग परक (विकीपीडिया), ब्लॉग एवं माइक्रोब्लॉग (ट्वीटर), विषय वस्तु समुदाय (यू-ट्यूब), सोशल नेटवर्किंग साइट (फेसबुक) और वर्चुअल गेम वल्र्ड (व्हाट्सएप)। प्रचार के सभी व्ययों में सोशल मीडिया के विज्ञापनों के व्यय भी शामिल होंगे। इसमें विज्ञापनों के लिए इंटरनेट कंपनियों और वेबसाइटों को किए गए भुगतान के साथ-साथ विषय वस्तु के रचनात्मक विकास (उत्पादन एवं डिजाइनिंग) पर व्यय, सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइटों को बनाए रखने के लिए नियोजित कामगारों की टीम को दिए गए वेतन और मजदूरी पर व्यय आदि भी शामिल होगा।