लखनऊ: समाजवादी पार्टी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत से लेकर जिला पंचायतों में कब्जा करने की पुरजोर कोशिश करेगी, मगर प्रत्याशी सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उतारेगी। सपा की राज्य संसदीय बोर्ड ने यह फैसला किया है। वर्ष 2012 में हारी169 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार मुलायम सिंह यादव को सौंप दिया गया।
मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई समाजवादी पार्टी की राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मुख्य रूप से चर्चा हुई। कुछ सदस्यों ने दलीय आधार पर प्रधानों, बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) व जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लडऩे का प्रस्ताव रखा। इस पर सहमति नहीं बनने के बाद तय किया गया कि पार्टी सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी उतारेगी। प्रत्याशी चयन के लिए राज्य स्तरीय कमेटी गठित होगी और जिलों में प्रेक्षक भेजे जाएंगे। हालांकि पूरे चुनाव पर नजर रखने व समर्थकों को चुनावी संसाधन उपलब्ध कराने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्णय किया गया।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हारी 169 सीटों पर टिकट के दावेदारों का 23 जुलाई से नौ अगस्त तक साक्षात्कार लेने वाली चयन समिति ने तीन-तीन दावेदारों का पैनल राज्य संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपा गया। इस पर चर्चा के बाद प्रत्याशी तय करने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सौंप दिया गया। स्मार्ट सिटी की दावेदारी में लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर, कानपुर, आगरा को भी शामिल कराने पर भी चर्चा हुई।
पांच से 12 अगस्त तक निकली समाजवादी साइकिल यात्रा की सराहना करते हुए फरवरी 2016 में फिर से साइकिल यात्रा निकालने व गांव में विश्राम करने की रूपरेखा तैयार करने का निर्णय किया गया। कांवड़ यात्रा के चलते आठ जिलों में स्थगित की गयी साइकिल यात्रा 17 अगस्त से फिर शुरू करने का निर्णय किया गया। सरकार के साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल में सपा के चुनाव घोषणा पत्र के वादे पूरे होने पर संतोष जताया गया।
राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक में शिवपाल सिंह यादव, माता प्रसाद पाण्डेय, बलराम यादव, अहमद हसन, अवधेश प्रसाद, अरविन्द कुमार सिंह गोप, डा. केसी पाण्डेय, श्रीपति सिंह, भगवती सिंह, नरेश उत्तम, एमएलसी एसआरएस यादव, मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने भी हिस्सा लिया।
लोकायुक्त व एमएलसी पर भी चर्चा
नामित कोटे की विधान परिषद सीटों व लोकायुक्त की नियुक्ति पर राजभवन के सवालों पर भी राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक में चर्चा हुई। सूत्रों का कहना है कि दोनों प्रकरणों में सरकार को अपने फैसले पर अडिग रहने की बात कही गयी, हालांकि इसको लेकर कोई प्रस्ताव पास नहीं किया गया।