लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के नये शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर रोक के बाद भी उत्तर प्रदेश में जिलाधिकारी लाइसेंस बांट रहे हैं। शासन के इसपर रोक लगाए जाने के बावजूद 22 जिलों के डीएम ने शस्त्र लाइसेंस निर्गत बांटे हैं। इसपर गृह विभाग गंभीर है और इस बाबत 22 जिलाधिकारियों को रोक का उल्लंघन करने पर नोटिस दिया गया है।
प्रदेश के गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र ने आगरा, बागपत, बहराइच, बस्ती, बलरामपुर, बाराबंकी, बुलंदशहर, चित्रकूट, देवरिया, फैजाबाद, झांसी गाजियाबाद, गोरखपुर, कौशांबी, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मऊ, मुरादाबाद, हापुड़ पीलीभीत, प्रतापगढ़ एवं संतकबीरनगर जिलों के डीएम को पत्र भेजकर दो हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट ने जितेन्द्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में पारित सात अक्टूबर 2013 के आदेश में नये शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगाया है। इस कड़ी में आठ नवंबर 2013 को शासन से आदेश जारी किया गया कि नये लाइसेंस न निर्गत किए जाएं। 30 सितंबर 2014 को गृह विभाग से आदेश निर्गत किया गया कि विरासत, अपराध पीडि़त या सूबे के अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिभावान खिलाडिय़ों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वास्तविक आवश्यकता के दृष्टिगत लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट की रोक प्रभावी रहेगी। गृह सचिव का कहना है कि जिलों से मिली सूचना के अन्तर्गत प्रथमदृष्टया यह पाया गया है कि हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में जारी शासनादेशों का उल्लंघन हुआ है। सभी जिलाधिकारी अपना पक्ष 14 दिनों में भेजने को कहा गया है। गृह विभाग का यह आदेश छह फरवरी को जारी किया गया है।
लाइसेंस जारी करने में जालौन के जिलाधिकारी रामगणेश यादव सबसे आगे हैं। इन्होंने सौ से अधिक शस्त्र लाइसेंस बांट दिये हैं। इसके बाद भी उनको गृह विभाग से नोटिस नहीं मिला है। जिलाधिकारी विवेकाधिकार का प्रयोग कर शस्त्र लाइसेंस दे रहे है। इलाहाबाद के डीएम भवनाथ भी इस आदेश से बेखबर हैं। मऊ के डीएम चंद्रकांत ने भी जमकर बांटे हैं भी शस्त्र लाइसेंस।