पेशावर: पाकिस्तान के शहर पेशावर में तालिबान ने आज बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। आतंकियों ने शहर के आर्मी पब्लिक स्कूल में घुसकर सौ से ज्यादा बच्चों की जान ले ली। इसके अलावा मारे गए लोगों में स्कूल के टीचर और स्टाफ भी शामिल हैं। स्कूल में बंधक बच्चों और शिक्षकों को छुड़ाने के लिए सेना को घंटों लग गए। इस ऑपरेशन में सभी छह आतंकी मारे जा चुके हैं। तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। उसके प्रवक्ता का कहना है कि ये नॉर्थ वजीरिस्तान में सेना की कार्रवाई का बदला है। सवाल है कि ये बदला मासूम बच्चों से क्यों?
पठानों के शहर पेशावर में हुए इस खौफनाक आतंकी हमले से पाकिस्तान ही नहीं सारी दुनिया दर्द में डूब गई। दोपहर को अचानक पेशावर के आर्मी स्कूल में घुसे आतंकियों ने कहर बरपा कर दिया। स्कूल में चौथा पीरियड चल रहा था कि अचानक गोलियों की आवाज गूंज उठी। फौजी वर्दी में घुसे आतंकियों ने तकरीबन 500 बच्चों को बंधक बना लिया था। स्कूल के भीतर से आ रही गोलियों की आवाज बता रही थी कि जो बंधक हैं वो सुरक्षित नहीं हैं। जो बच्चे पिछले दरवाजों से बच निकले थे उन्होंने दहशत के आलम में पूरा वाकया बयान किया।
मासूम बच्चों पर इस बर्बर हमले की सारी दुनिया में थू-थू हो रही थी, ठीक उसी वक्त तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का बेशर्म प्रवक्ता अपने बयान के साथ सामने आया। पाकिस्तान के टीवी चैनल जियो न्यूज से बातचीत में मोहम्मद खोरासानी ने कहा कि हमने 6 लोगों को इस हमले के लिए भेजा है। इसमें टारगेट किलर और आत्मघाती हमलावर शामिल हैं। उन्हें बड़े छात्रों को मारने का आदेश है, छोटे बच्चों को मारने का नहीं। ये नॉर्थ वजीरिस्तान में सेना की कार्रवाई का बदला है।
बच्चों का ये स्कूल पेशावर के मशहूर वारसाक रोड पर बिहारी कॉलोनी के नजदीक है। दरअसल यहां सेना के प्रतिष्ठान हैं और इस इलाके में कड़ी सुरक्षा रहती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल के पास एक कब्रिस्तान है और आतंकी उसी दीवार को पार कर स्कूल में घुसे। तालिबान के जानकारों की राय में ये बर्बर लोग हैं और इनके लिए बड़ों और बच्चों का फर्क नहीं है। आखिरकार ये वही हत्यारे हैं जिन्होंने मलाला को गोलियां मारी थीं।
कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान की बेटी मलाला ने भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ मिलकर शांति का नोबेल पुरस्कार जीता था। मलाला ने ये नोबेल अपने मुल्क के बच्चों को उनकी शिक्षा-दीक्षा को समर्पित किया। मलाला को भी स्कूले जाने और तालीम हासिल करने के लिए ही गोली मारी गई थी। पाकिस्तान मलाला के नोबेल की खुशी मना ही रहा था कि बच्चों के स्कूल पर इस बर्बर हमले ने रंग में भंग डाल दिया। तालिबान ने अपनी इस हरकत से साबित किया कि पाकिस्तान जेहाद का जहन्नुम बन चुका है।