नई दिल्ली: भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में संबोधन के दौरान नरेंद्र मोदी दो-दो बार भावुक नजर आए। पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मोदी के नाम का प्रस्ताव संसदीय दल के नेता के तौर पर रखा, जिसका सभी नेताओं ने समर्थन किया। मोदी आभार जताते हुए भाषण में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नाम का जिक्र करते हुए भावुक हो गए। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी के बयान का जिक्र करते हुए भी मोदी का गला भर आया और अपने आंसू नहीं रोक पाए। भाषण के दौरान मोदी को रोना आ गया और खुद को संभालने में उन्हें कुछ समय लगा।
इसके बाद मोदी ने आडवाणी के बयान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैं आडवाणी जी से मैं प्रार्थना करता हूं कि वह इस शब्द का उपयोग न करें। दरअसल आडवाणी ने अपने संबोधन में कहा कि नरेंद्र भाई ने ‘कृपा’ की। इतना कहने के बाद मोदी का गला भर आया। वह अपना रोना नहीं रोक पाए और कुछ देर तक सिर झुकाए खड़े रहे और खुद को संभालने की कोशिश करते देखे गए। कुछ देर की खामोशी के बाद उन्होंने रुंधे हुए स्वर में कहा कि क्या मां की सेवा कभी कृपा हो सकती है। कतई नहीं हो सकती। जैसे भारत मेरी मां है, वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है और बेटा कभी मां पर कृपा नहीं कर सकता। बेटा सिर्फ समर्पित भाव से मां की सेवा कर सकता है। कृपा तो पार्टी ने की है, इस मां की सेवा करने का मुझे मौका दिया।
संसद के सेंट्रल हॉल में भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद मोदी ने जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय समेत देश के लिए मर-मिटने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि अटल जी की सेहत ठीक होती और वह यहां मौजूद होते तो सोने पे सुहागा होता।
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