फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूल के मास्टर के ऊपर पहरा ही पहरा है| मगर हालत तब भी बद से बदतर हो चले है| मास्टरों पर निगरानी के लिए स्कूल शिक्षा समिति, खंड शिक्षा अधिकारी और उसके ऊपर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी| इसी के साथ ही तहसीलदार और एसडीएम पर भी कभी कभी स्कूलों को चेक करने की जिम्मेदारी दी जाती है| पांच चक्रीय निगरानी व्यवस्था के बाबजूद अगर किसी स्कूल का हाल बेहाल हो जाए तो इस निगरानी तंत्र पर ही शक होता है| खबर तो ये है कि खंड शिक्षा अधिकारी शिक्षको के गायब रहने पर पैसा वसूल कर हाजिरी पाक साफ़ कर देता है| कभी कभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का छापा पड़ जाए और पकडे गए तो साहब के लिपिक हिसाब किताब करते है| नोटिस और उसके बाद चेतावनी बस इति श्री|
शुक्रवार 2 मई 2014 दोपहर 11 बजे राजेपुर ब्लाक के प्राथमिक पाठशाला दौलतपुर चकई का स्कूल| एक भी बच्चा स्कूल में नहीं| स्कूल की इंचार्ज सहायक अध्यापिका नुपुर विश्नोई का आगमन होता है| लड़खड़ाते हुए कदम और बोलने की स्थिति तो बिलकुल ही नहीं| रिपोर्टर ने पूछा मैडम इतनी देर से क्यों आई| जबाब मिला आपको “मतलब”?| खैर रिपोर्टर ने रजिस्टर देखे तो चौक गया| 30 अप्रैल के दिन 64 बच्चो ने खाना खाया था| आज की रिपोर्ट भरी नहीं गयी थी मगर स्कूल में बच्चा एक भी नहीं था| स्कूल में कुल 221 बच्चे पंजीकृत है| एक अध्यापक ने बताया कि दर्जन भर से ज्यादा बच्चे कभी नहीं आते|
नाम न खोलने की शर्त पर कुछ स्कूल के करीबी लोगो ने बताया कि मैडम हाजिरी लगाने ही आती है वो भी कभी कभी| वैसे रजिस्टर पर अड्वान्स हाजिरी भी भर दी जाती है| वजीफा एक भी बच्चे को अभी तक मिला नहीं है| मुस्लिम बाहुल्य गाव में अन्य स्टाफ मुस्लिम ही है मगर फिर भी इंचार्ज के खिलाफ मुह नहीं खोल पाते| मैडम बड़ी प्रभावशाली है| सुना है कि पैसे से मुह बंद करने में परफेक्ट है| तभी तो खंड शिक्षा अधिकारी की टिप्पणी लिखा पत्र व्यवहार वाला पन्ना रजिस्टर से फाड़ कर फेक दिया| वो तो भला हो एक ग्रामीण का उसने सुरक्षित रख लिया और जेइनआई तक पंहुचा दिया| बताया गया कि मैडम कोई लाल रंग की कैन लेकर आती है| हालाँकि बियर कैन का सबूत कोई नहीं दिखा सका| मगर लडखडाती आवाज और कदम ग्रामीणो की बात पर मुहर लगाने का संदेह जरुर पैदा कर रही थी| उन्होंने कहा कि यहाँ के ग्रामीण स्कूल चलाने में सहयोग नहीं करते| पत्र व्यवहार में मैडम के विषय में अधिकारियो की तीखी टिप्पणी काफी कुछ ब्यान कर रही है| मगर वो पन्ने ही फाड़ कर फेक दिए गए है|
इस संबंध में जब अवगत कराने और प्रतिक्रिया लेने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी बागीश गोयल को फोन किया गया तो उन्होंने तीन-चार बार घंटी जाने के बाद भी नहीं उठाया| शायद मैडम ने अग्रिम सूचना रिपोर्टर के स्कूल विजिट की उन साहब दे दी हो| इसके बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेंद्र शर्मा से फोन पर एक बार में ही बात हुई| नरेंद्र कुमार शर्मा ने पूरी बात सुनने के बाद आश्वाशन दिया कि वे स्वयं इस स्कूल की स्थिति को सुधारेंगे| और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करेंगे|