बदलाव की कोशिश- जो साथ न चल सके वो भी 24 को वोट जरूर करे- टीम सचिन

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Sachin Yadavफर्रुखाबाद: अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग कभी अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल का मुद्दा हुआ करता था| मगर फर्रुखाबाद में इन दिनों ये दोनों नाम परदे से गायब से हो गए है हाँ मुद्दे को जरूर हवा दी जा रही है| और इस हवा को देने का काम कर रही है टीम सचिन| जनसम्पर्क और मतदाताओ को जागरूक करते हुए चलते चलते ये डायलाग निकलता है- ” जिसे लगे कि हम कुछ कर सकते है वो हमारा साथ थे| जो साथ चल सकते है साथ चले| जो साथ नहीं चल सकते वो अपने अपने तरीके से मेरी बात जनता तक पहुचाये| और जो ये दोनों काम भी नहीं कर सकते वे 24 अप्रैल को मतदान केंद्र तक अवश्य जाए और मतदान करे| आखिरी लाइन में वे अपना भी प्रचार कर देते है| कैंची चुनाव चिन्ह वाला बटन दबाये|”

वैसे तो अपराध के खिलाफ जंग उनके लिए एक टारगेट है| जिसे जनता समझती है| वे किस अपराध और गुंडई का जिक्र कर रहे है| मगर फिर भी जो मुद्दा उठाया गया है वो सर्व मान्य है| चुनाव हो या सामान्य दिन दबंगई, गुंडई, अपराध, अराजकता कोई पसंद नहीं करता केवल उन लोगो को छोड़ कर जो इसे करते है या फिर इसके बिना वो जी नहीं सकते|
LOKSABHA FARRUKHABAD 2014
भाजपा का चुनाव प्रचार के कई अंदाज है| प्रत्याशी अपने जिला पंचायत अध्यक्षी के विकास कार्यो की चर्चा करता है| इसके अलावा मोदी को प्रधानमंत्री बनाना प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा है| बसपा सपा सरकार की गुंडई का नारा लगाती है और सपा प्रत्याशी अपनी सरकार की उपलब्धिया गिनाते है| कांग्रेस प्रत्याशी सलमान खुर्शीद सवालो का इन्तजार करते है| कुछ विकास की बात कहते है| और भरोसा दिलाते है कि वे जितना कर चुके है उससे ज्यादा करेंगे| चुनाव प्रचार के दौर में आम आदमी पार्टी की फर्रुखाबाद में हवा निकल चुकी है| मगर उनका मुद्दा टीम सचिन ने संभाल लिया है| आम आदमी पार्टी के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता इन दिनों सचिन के युवा होने का फायदा उठा रहे है और अपने मुद्दे उनके मंच से जनता तक पहुंच रहे है|

प्रचार के अब केवल 8 दिन बचे है| कभी कभी तेज हवाओ के साथ उड़ती धूल के सिवाय कुछ तस्वीर साफ़ नहीं है| हर ठीक-ठाक प्रत्याशी 3 लाख से कम वोट नहीं ले रहा है| कुछ सही लिख देंगे तो कल तो उठा लिए जाने का खौफ मीडिया में भी है| मीडिया में अब समीक्षा का दौर नहीं रहा| पिछले चुनाव से ये माहौल भी खत्म हो गया| एक आये थे पिछले चुनाव में सिर्फ अपने लिए लिखने की बात करते थे| समर्थन में लिखी बात पर भी मीडिया से भिड जाते थे, पत्रकारों के कैमेर से तस्वीरे डिलीट करवा देते थे- सलाह देने लगे थे कि ऐसे लिखा जाना चाहिए वैसे लिखा जाना चाहिए| बाद में यही हनक उन्हें हवा कर गई| अधिकतर मीडिया ने बबाल से बचने का तरीका निकाल लिया| लिखेंगे ही नहीं| तो मीडिया के साथ मतदाता भी खामोश है, या फिर कहे कि सहमा हुआ है| जरा सी बात पर पथराव की नौबत है| पुलिस थानों में कई रैंकर बुढ़ापे में अब थानेदार है| जिनकी सिफारिश पर अनैतिक कुर्सी पाई थी उन्ही से सार्वजानिक गलियां खा रहे है| मगर फिर भी चुनाव हो रहा है|

आखिर चुनाव हो क्यों रहा है इस बात की चर्चा सभी प्रत्याशी अपने अपने तरीके से कर रहे है| भाजपा को सिर्फ मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है| क्यों बनाना है इस पर मंचो से भाषण नहीं हो रहे| मेनिफेस्टो में समस्या कैसे दूर करेंगे इस पर कोई बात नहीं कही गई| बस भ्रष्टाचार दूर करने के लिए कटिबद्ध है इतना ही कहा गया| विदेशी धन वापस लाएंगे मगर कैसे, क्या योजना है इस पर कोई साफ़ तस्वीर नहीं| तभी सलमान खुर्शीद कहते है कि भाजपा का मेनिफेस्टो लाल बुज्झकड़ की किताब है| जिसमे पहेलिया ही पहेलिया है| अब सलमान ठहरे विपक्षी कुछ तो कहेंगे| कांग्रेस प्रत्याशी सलमान खुर्शीद पार्टी की बात नहीं करते| सिर्फ अपनी बात करते है| उन्होंने जो कुछ किया जनता को बताते है| सलमान बड़ी सभाए नहीं करते| नुक्कड़ से काम चला रहे है|

बसपा का प्रचार जातियों के आंकड़ों तक सीमित है| एक एक कर बड़े नेता भ्रष्टाचार में जेल की सलाखों के पीछे है लिहाजा भ्रष्टाचार का मुद्दा बोलना बर्रैया के छाते में ऊँगली देना है| बस सपा को कोसना और जाति के आंकड़े लगाने तक चुनाव सीमित है| वे रटा रटाया दैलाग मारते है- सर्व समाज का उन्हें समर्थन मिल रहा है| 3 लाख से नीचे वे भी शुरू नहीं होते| आखिर सब 3-3 लाख ले जायेंगे तो इतने वोट आएंगे कहा से| समाजवादी पार्टी के पास पार्टी संगठन की टीम है| दिन रात चुनाव प्रचार में जुटी है| सत्ता में होने का जहाँ लाभ है वहीँ हानि भी है| चुनाव में जनता सत्ता का मूल्यांकन करती है| कानून व्यवस्था से लेकर विकास की समीक्षा करती है| प्रत्याशी को अपने दम और अपनी छवि को भुनाने का मौका है|
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ले देकर एक और आजाद उम्मीदवार मैदान में हवा भरे हुए है| 30 हजार कार्यकर्ताओ की भीड़ जो गत 29 मार्च को उन्होंने अपने बाबा की पुण्य तिथि पर राजेंद्र नगर में जमा की थी वो अब उनके लिए गाव गाव प्रचार कर रही है| युवाओं और अपने पिता नरेंद्र सिंह यादव के भरोसे सचिन मैदान में है| गजब का फंडा है- जो किसी से नाराज है वो सचिन के साथ है| सबसे ज्यादा युवा उसके साथ है मगर फिर भी मुश्किल बरक़रार है| न कोई बड़ा नेता और न कोई पुरानी बहुत बड़ी उपलब्धि| कोरी स्लेट लेकर चुनाव मैदान में उतर गया है| मगर वोट का दावा वे भी 3 लाख वोट से कम पाने का नहीं कर रहे है|

अब नयी समस्या जो इस चुनाव में दिख रही है वो ये है कि 5 प्रत्याशी 3-3 लाख से कम वोट की बात नहीं कर रहे| तो इतने वोट आएंगे कहाँ से| 16 लाख वोटरो का इम्तिहान है| तो क्या इस बार 100 प्रतिशत मतदान है|