फर्रुखाबाद: लोकसभा चुनाव में उतर रहे प्रत्याशी यदि शराब के जरिए मतदाताओं को लुभाने की सोच रहे हैं तो ऐसी मंशा उनके लिए भारी पड़ सकती है। इस बार निर्वाचन आयोग ने मयखानों से लेकर डिस्टलरी तक अपनी निगाह लगा रखी है। दुकानों से शराब की बिक्री और डिस्टलरी से निकासी की रिपोर्ट चुनाव आयोग के पास रोजाना भेजी जा रही है। आयोग को संबंधित डाटा भेजने को आबकारी मुख्यालय में विशेष कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है जहां प्रदेश के सभी जिलों से देशी, विदेशी और बियर की मांग का डाटा संकलित कर आयोग को भेजने का काम हो रहा है। जबकि अवैध शराब और उसका दुरुपयोग रोकने के मकसद से दूसरा कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां कोई भी इस तरह की सूचना, शिकायत दर्ज करा सकता है।
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विभागीय अधिकारियों की मानें तो पहली बार ऐसा हो रहा है जब चुनाव आयोग की नजर लाइसेंसी दुकानों व डिस्टलरियों पर है। अक्सर ऐसा देखा और पाया गया है कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ-साथ मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं। पर अब शराब की बड़ी मात्रा में खरीददारी करने वाले चुनाव आयोग के निशाने पर रहेंगे। अधिकारियों के मुताबिक आयोग का यह मानना है कि मदिरा के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने से निष्पक्ष चुनाव कराने में काफी मदद मिल सकती है। इसी मकसद से अब जिलेवार मदिरा की खपत और आपूर्ति की निगरानी करते हुए आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं। बीते साल इसी सत्र और समय की मदिरा खपत और वर्तमान स्थिति का तुलनात्मक आंकड़ा भी जुटाया जा रहा है जिससे पता चल सकेगा कि चुनाव के दौरान शराब की मांग और आपूर्ति कैसी रही। मुख्यालय की ओर से तीन विशेष टीमें बनाई गई हैं, जो अवैध मद्य निकासी पर निगाह रख रही हैं।
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