लखनऊ: बड़े पैमाने पर धांधली करने के दौरान अधिकारियों और अभियंताओं ने विवाद से बचने के लिए कई पैंतरे चले। लेकिन कमीशन हासिल करने की ललक में तमाम बातों को अनदेखा कर गए। विजिलेंस ने घोटाले में लिप्त अफसरों द्वारा दरों के निर्धारण को लेकर लिए गए फैसलों पर पूछताछ का फैसला किया है।
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प़ड़ताल के दौरान विजिलेंस ने पाया है कि स्मारकों के निर्माण के लिए जब चुनार पत्थर की आपूर्ति के लिए दरों का निर्धारण किया गया तो तत्कालीन बाजार भाव 50 से 75 रुपए प्रति घन फुट के बजाय इसे 150 रुपये प्रति घन फुट तय किया गया। ऐसे ही जब पिंक सैंड स्टोन की दर तय की गई तो पहले (मिर्जापुर से स्टोन उठाने, बयाना राजस्थान ले जाने तथा उनकी साइजिंग, कार्विंग के बाद वहां से यूपी में कार्यस्थल पर स्थापित किए जाने के कार्य के लिए) दर 1890 रुपए प्रति घन फुट तय की गई।
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कुल 47 फर्मों को इस दर पर काम दिया गया और इसी दर पर भुगतान भी दिया गया। जब दरों के अधिक होने की बात उठने लगी तो इसे घटाकर 1190 रुपये प्रति घन फुट कर दिया गया। इस दर को भी कुछ दिनों बाद घटाया गया और दर को 1050 रुपये प्रति घन फुट कर दिया गया।
विजिलेंस का कहना है कि इससे स्पष्ट है कि 1890 रुपये प्रति घन फुट की दर से जो कार्य कराया गया, उसमें 840 रुपये प्रति घन फुट की दर से अधिक भुगतान किया गया।
राजस्थान से यूपी में कार्यस्थल तक लाए गए कुल पत्थर की मात्रा 13,26,706,033 घन फुट है। विजिलेंस यह जानने की कोशिश कर रही है कि कितने घन फुट पत्थर का किस दर से भुगतान हुआ। ऐसे यह जानकारी हो सकेगी। कि कितने घन फुट पत्थर के लिए कितना अधिक भुगतान किया गया।
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विजिलेंस के सूत्रों के मुताबिक इस बात की अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि जिन ठेकेदारों को अधिक दर से भुगतान किया गया, उस अतिरिक्त राशि की वसूली की गई अथवा उनके भुगतान से उस रकम की कटौती हुई या नहीं।
लिहाजा इसकी जानकारी अब उन्हीं अधिकारियों व अभियंताओं से की जाएगी जिन्होंने दरों का निर्धारण किया और जिन्होंने इसके लिए भुगतान स्वीकृत किए।