लखनऊ: प्रदेश में लेखपालों की भर्ती, लिखित परीक्षा कराने के लिए संस्था का चयन न हो पाने की वजह से अटकी हुई है। अब इस काम की जिम्मेदारी सहकारिता विभाग की संस्था यूपी सहकारी संस्थागत सेवा मंडल को देने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
सूबे में लेखपालों के करीब 7000 पद खाली पड़े हैं। शासन ने लेखपाल भर्ती राजस्व परिषद के निर्देशन और जिलाधिकारियों की देखरेख में कराने की योजना बना रखी है। इसमें 90 नंबर की लिखित परीक्षा और 10 नंबर के इंटरव्यू का प्रस्ताव है। राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर भर्ती प्रक्रिया को एक बार हरी झंडी देने के बावजूद सरकार इसे आगे नहीं बढ़ा सकी।
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जानकार बताते हैं कि लिखित परीक्षा के लिए परीक्षा एजेंसी तय न हो पाने की वजह से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस बीच राजस्व मंत्री और राजस्व आयुक्त एवं सचिव बदले जा चुके हैं। भर्ती में करीब 15 लाख परीक्षार्थियों के शामिल होने के अनुमान के मद्देनजर अफसर किसी ऐसी एजेंसी का चयन करना चाहते हैं जो लिखित परीक्षा अच्छी तरह से करा सके मगर पेंच फंसा हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों राजस्व मंत्री शिवपाल यादव की समीक्षा बैठक में परीक्षा के लिए एजेंसी चयन पर भी विचार-विमर्श हुआ था। एजेंसी केनाम पर यूपी सहकारी संस्थागत सेवा मंडल का नाम सामने आया था। सेवा मंडल सहकारी संस्थाओं के लिए कर्मियों की नियुक्ति का काम करती है।
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राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस एजेंसी के पास इतनी बड़ी परीक्षा कराने का अनुभव न होने और इस परीक्षा के लिहाज से आवश्यक संसाधन न होने को लेकर सवाल उठाए थे। इसलिए बैठक में एजेंसी पर सहमति नहीं बन पाई थी। मगर संकेत है कि सरकार एजेंसी को इस काम के लिए जरूरी संसाधन देने पर विचार कर रही है और इसे यह अहम काम दिया जा सकता है। गौरतलब है कि सहकारिता विभाग भी राजस्व मंत्री के पास है।
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