लखनऊ: दंगे में घायलों को पेंशन देने के लिए रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना में कुछ नए नियम बढ़ा दिए गये हैं। मासिक पेंशन के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं होगी। जाति और धर्म का बंधन भी नहीं होगा। बस,दावेदार ‘दंगा घायल’ होना चाहिए।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाली मंत्रिपरिषद ने 27 अगस्त के बाद मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और मेरठ दंगों के घायलों को चार सौ रुपया मासिक पेंशन का फैसला किया है। पहली बार किसी राज्य सरकार की ओर से दंगे के घायलों को पेंशन देने के फैसले को लागू कराने के लिए रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना के नियमों में कुछ नये नियम जोड़े जा रहे हैं और कुछ नियमों को शिथिल भी किया गया है। सूत्रों का कहना है कि नए नियमों के तहत अब घायलों में आर्थिक स्थिति का प्रमाण पत्र नहीं देना होगा। सूत्रों कहना है कि पहले से चले आ रहे नियमों में एक और नियम बढ़ाया जा रहा है कि अगर दंगे का कोई घायल पात्रता श्रेणी में नहीं आ रहा है तो नियम को शिथिल माना जाए और उसे चार सौ रुपए मासिक पेंशन मुहैया करायी जाए।
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समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद ने कहा कि देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने दंगे में घायलों को पेंशन देने का फैसला लिया है। रानी लक्ष्मी बाई योजना के तहत चार सौ रुपए प्रतिमाह की दर से पेंशन दी जाएगी। इसके लिए योजना के नियमों को शिथिल कर दिया गया है, जल्द ही शासनादेश जारी हो जाएगा।
पीड़ितों के लिए नियम शिथिल
-दंगा में घायल व्यक्ति से आर्थिक स्थिति का प्रमाण पत्र नहीं लिया जाएगा।
– रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना का लाभ देने में जाति, धर्म की बाध्यता नहीं होगी।
– घायल अगर पूर्व में निर्धारित मानकों में पात्र नहीं है, तब भी उसे पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा।
-दंगे में घायलों को पेंशन देने के लिए नियम को शिथिल माना जाएगा।
कब शुरू हुई योजना : प्रदेश सरकार ने 23 मई 2012 को रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना शुरू की थी, जिसके समाज कल्याण विभाग के जरिए 9 जुलाई 2012 को लागू किया गया।
लाभार्थियों की संख्या : मौजूदा समय में रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना पाने वाले परिवारों की संख्या 25 लाख के करीब है। इसमें बीपीएल सूची में शामिल होने से जो छूटे, अन्य किसी पेंशन योजना से वंचित को पेंशन मिलती है।