रांची: चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा दी गई है। उन्हें यह सजा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये यह सजा सुनाई गई।
इससे पूर्व कोर्ट में जहां सीबीआई ने नरमी न दिखाते हुए कहा कि लालू और बाकियों को कड़ी सजा हो। वहीं लालू के वकील ने उम्र और बीमारी का हवाला देकर कम सजा की मांग की थी। उनके वकील ने कहा कि लालू एक प्रतिष्ठित नागरिक हैं। रेलमंत्री के तौर पर उनके योगदान की दलील भी कोर्ट को दी थी।
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गौरतलब है कि रांची की सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को उन्हें चारा घोटाले के एक केस में दोषी ठहराया था। इस केस में लालू समेत कुल 45 लोगों को दोषी ठहराया गया था, जिनमें से सात को उसी दिन सजा सुना दी गई थी।
उधर, लालू दोषी ठहराए जाने के बाद से ही रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। पांच साल की सजा के साथ ही लालू की संसद सदस्यता रद्द हो गई है।
ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सजा पाए सांसदों और विधायकों को मिलने वाली छूट के कानून को रद्द कर दिया था हालांकि इसको बदलने के लिए पहले कैबिनेट ने एक अध्यादेश को पास कर राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, लेकिन कई हलकों से हो रहे विरोध और फिर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इसके विरोध में खुलकर बोलने के बाद सरकार ने यह अध्यादेश और बिल वापस ले लिया है।
वैसे, दागी नेताओं पर अध्यादेश को लालू और दूसरे नेताओं को बचाने के लिए लाए जाने की बात से आरजेडी को दुख पहुंचा है। आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुबंश प्रसाद सिंह ने कहा है कि वह इस बात से आहत हैं। आरजेडी के उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह कांग्रेस और यूपीए का अंदरूनी मामला है और उनका इससे कुछ लेना-देना नहीं है। वहीं रघुबंश प्रसाद का यह भी कहना है कि पार्टी यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस नहीं लेने जा रही है।