FARRUKHABAD : राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल कर जनपद का नाम देश में रोशन करने वाला ग्राम विजाधरपुर में मनरेगा मजदूरों का भारी टोटा हो गया है। महंगाई की मार कहें या प्रधान की कंजूसी, मनरेगा मजदूरों ने काम करने से इंकार कर दिया है। जिस बजह से गांव की सड़क बीते 6 माह से खुदी पड़ी है।
4 मई 2007 को ग्राम विजाधरपुर के तत्कालीन प्रधान संतराम सक्सेना को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा था। यह वही विजाधरपुर गांव है। जहां बीते 6 माह से मनरेगा मजदूरों ने काम करने से इंकार कर दिया है। यह कहना है वर्तमान ग्राम प्रधान नीलम दुबे का।
मामला तब प्रकाश में आया जब उनसे रखा रोड से विजाधरपुर गांव के लिए जाने वाली सड़क के विषय में पूछा गया, उन्होंने बताया कि गांव के 32 मनरेगा मजदूरों ने काम करने से ही इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि मजदूर सरकारी 140 रुपये में काम करना नहीं चाहते। प्राइवेट में उन्हें ढाई सौ रुपये मिल रहे हैं। इस बजह से सड़क नहीं बन पा रही है। सड़क को खेतों से मिट्टी उठाकर ऊंचा किया गया था। जो बारिश में एक छोटी खाई के रूप में तब्दील हो गयी। दोनो तरफ इतनी पर्याप्त गहराई है कि अगर निकलने वाला व्यक्ति फिसले तो भगवान ही बचाये।
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फिलहाल दूसरे गांव से कम पैसे में मजदूर मंगाकर काम किया जा रहा है। लेकिन वह मजदूर भी अब गांव में दिखायी नहीं पड़ते। ग्राम प्रधान नीलम दुबे ने बताया कि दूसरे गांव से बुलाये गये मजदूर कुछ समय के लिए याकूतगंज में लोहिया ग्रामों के शौचालय बना रहे हैं। खाली होने पर सड़क निर्माण पूर्ण कराया जायेगा।