फर्रुखाबाद : बीते तीन दिनों से अपनी बीमारी के इलाज के इंतजार में कुछ असहाय मरीज तो दूर दराज से आकर लौट गये। लेकिन जिन मरीजों के पास लोहिया अस्पताल के अलावा अन्य कोई चारा नहीं था वह हड़ताल खत्म का इंतजार करते रहे। बुधवार को जैसे ही हड़ताल खत्म हुई तो लगभग 11 बजे पर्चा काउंटर पर मरीजों की भारी भीड़ लग गयी। तीन दिन बाद हड़ताल खत्म होने के बाद भी लोहिया अस्पताल के डा0 श्रीवास्तव ने ओपीडी मरीज नहीं देखे।
लोहिया अस्पताल के फिजीशियन डा0 एच पी श्रीवास्तव को कमरा नम्बर 20 में मरीजों को देखना था। लेकिन 11 बजे हड़ताल खत्म होने के बाद भी साढ़े 11 बजे तक वह अपने कक्ष में मरीजों को देखने नहीं पहुंचे। वहीं नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डा0 मनोज कुमार रत्मेले भी अपने कक्ष से नदारद रहे। डा0 गौरव भलाटिया साढ़े 11 बजे तक मरीजों को देखने के लिए कमरों में नहीं पहुंचे।
इसी तरह एक्सरे रूम सूना पड़ा दिखायी दिया। अल्ट्रासाउण्ड कक्ष में कुन्डी जड़ी दिखायी दी। खून व अन्य जांचों से सम्बंधित बार्ड में कोई भी कर्मचारी साढ़े 11 बजे तक नहीं पहुंचा। जिससे मरीज भटकते दिखायी दिये।
वहीं डा0 अनल शुक्ला की ड्युटी आपरेशन कक्ष में लगे होने के कारण बताया गया कि वह आपरेशन कक्ष में गये हुए हैं। डा0 मनोज रत्मेले कोर्ट में किसी केश की तारीख के सम्बंध में गये हुए थे। इस प्रकार लोहिया अस्पताल में हड़ताल खत्म होने के बाद भी हड़ताल जैसी स्थिति दिखायी दी। ऐसा कोई एक दिन का काम नहीं है।
डाक्टर अपनी सुविधा के अनुसार ही मरीजों को देखते हैं। जिला प्रशासन इन डाक्टर व कर्मचारियों की कितनी भी तरफदारी करे लेकिन असहाय गरीब जनता को जब डाक्टर कमरों में मौजूद नहीं मिलते हैं और उन्हें दवाई उपलब्ध नहीं हो पाती है तो वह कोसते व थूकते हुए अपने घरों को लौट जाते हैं।