लाल बहादुर शास्त्री की 106वीं जयंती

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लाल बहादुर शास्त्री को लोग देश के प्रधानमंत्री के रूप में याद करते हैं। वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे। लेकिन उनकी पहचान उनके सादा जीवन और उच्च विचार के कारण थी। लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन भी महात्मा गांधी के जन्मदिन के दिन यानी 2 अक्टूबर को ही होता है।

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उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे। उन्होने गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे। लाल बहादुर शास्त्री के बचपन की एक घटना बेहद प्रचलित है।

यह घटना उस समय की है जब वह वाराणसी में अपने मामा के घर पर रहते थे और हरिश्चंद्र हाईस्कूल में पढ़ रहे थे। उसी दौरान एक बार वह अपने कुछ दोस्तों के साथ गंगा पार एक मेला देखने गए। मेले से वापसी के समय उनके पास नाववाले को देने के लिए भी पैसे नहीं बचे। ऐसे में उन्होने गंगा नदी तैर कर पार की। उनके व्यक्तित्व की सादगी का पता इस घटना से लगाया जा सकता है।

लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे। लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे। उनके नाम के साथ जुड़ा ‘शास्त्री’ काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया। उनका प्रधानमंत्रित्व काल 9जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा।

उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश में भीषण मंदी का दौर था। देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था। उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन व्रत रखने की अपील की थी। शास्त्री जी की मृत्यु यूएसएसआर के ताशकंद में हुई थी। ताशकंद की सरकार के मुताबिक शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी पर उनकी मौत का कारण हमेशा संदिग्ध रहा। उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में हुई थी। वे उस समय देश के प्रधानमंत्री थे।