शासन ने अब आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन से जुड़े दस्तावेजों को मीडिया में लीक करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की तलाश तेज कर दी है।
खास तौर पर सरकार की फजीहत कराने वाली एलआईयू की रिपोर्ट मीडिया तक कैसे पहुंची, इसका पता लगाया जा रहा है। इसके बाद से इस पूरे प्रकरण पर आला अफसरों ने भी चुप्पी साध ली है।
उधर, एलआईयू रिपोर्ट लीक होने से उत्पन्न असहज स्थिति से खिन्न आला अफसरों ने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी को चिन्हित करने की कवायद भी शुरू कर दी है।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
मचा है हडकंप
इसे लेकर मातहतों में हड़कंप मचा हुआ है कि किसकी शामत आएगी। सूत्रों की मानें तो इंटेलिजेंस विभाग के अफसरों से कहा गया है कि वे उस व्यक्ति की बारे में पता लगाएं, जिसने रिपोर्ट लीक की। एडीजी इंटेलिजेंस के स्तर से इसकी जानकारी जुटाकर सरकार को मुहैया कराने की बात सामने आई है।
हालांकि, अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। सरकार की साख का सवाल बने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी भी अब फूंक-फूंक कर बोल रहे हैं।
रिपोर्ट लीक होने पर किसकी जिम्मेदारी तय हो रही है, इस बारे में पूछने पर आईजी कानून-व्यवस्था आरके विश्वकर्मा ने कहा, वह अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि मामला इंटेलिजेंस विभाग का है।
सब हैं खामोश
वह इंटेलिजेंस अधिकारियों से पूछकर ही बता सकेंगे कि क्या रिपोर्ट आई और किसे भेजी गई। जब आईजी को बताया गया कि एलआईयू ने जो रिपोर्ट भेजी है वह गृह व डीजीपी कंट्रोल दोनों को भेजी है, ऐसे में इस बारे में जवाब देने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इस पर आईजी ने चुप्पी साध ली।
गौरतलब है, गौतमबुद्धनगर से गृह विभाग व डीजीपी कंट्रोल को भेजी गई एलआईयू की रिपोर्ट लीक होते ही इसे लेकर बवंडर उठ खड़ा हुआ कि जब एसडीएम सदर दुर्गा शक्ति के बजाय एसडीएम जेवर मौके पर गए थे तब उन्हें निलंबित क्यों किया गया।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी दुर्गा शक्ति के निलंबन को सही ठहराते हुए एलआईयू की रिपोर्ट का हवाला दिया था।
दुर्गा दे सकती हैं चार्जशीट का जवाब
निलंबित आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल जल्द ही चार्जशीट पर सरकार को जवाब दे सकती हैं। चार्जशीट मिलने के बाद दस दिन के भीतर जवाब देना जरूरी होता है। यह मियाद अगले मंगलवार को पूरी होगी। अगर राज्य सरकार उनके जवाब से संतुष्ट होती है तो वह नागपाल का निलंबन वापस भी ले सकती है।
अगर राज्य सरकार जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और निलंबन जारी रहा तो तीन महीने के बाद केंद्र सरकार अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर निलंबन वापस ले सकती है।
नियुक्ति और कार्मिक विभाग ने रविवार को नागपाल को चार्जशीट देकर केंद्र सरकार को बताया था कि निलंबन का फैसला पूरी तरह से सही है क्योंकि नागपाल ने कादलपुर गांव में एक विवादित दीवार को गिराया, जिसके बाद वहां सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था।
कानून व्यवस्था की स्थिति को काबू में करने के लिए उनका निलंबन किया गया। हालांकि सरकार ने केंद्र को यह नहीं बताया कि किस जांच के आधार पर उन्हें निलंबित किया गया? फिलहाल नौकरशाही में खामोशी के बाद यह मामला अब राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा बना हुआ है।