लखनऊ: एक साथ रह रहे युवक या युवती को विवाहित माना जाए या अविवाहित। क्या लिव इन रिलेशन की वजह से युवती को विवाहित मानकर उसे उसकी पैतृक संपत्ति से वंचित किया जा सकता है। हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यह सवाल खड़े हुए हैं। अदालत चार सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई करेगी। इस बीच विपक्षीगणों से जवाब मांगा गया है।
प्रकरण दूरदर्शन की एक अभिनेत्री डॉली तोमर से जुड़ा है। डॉली सीरियल ‘ये जिंदगी है गुलशन-गुलशन’ में अभिनय कर रही है और मुंबई में रहती हैं। डॉली ने मथुरा निवासी अपने पिता ओम प्रकाश तोमर की मृत्यु के बाद खुद को अविवाहित बताते हुए राजस्व अधिकारी के यहां संपत्ति में अपना उत्तराधिकार दर्ज करा लिया। इसके लिए उसने अपने पासपोर्ट को आधार बनाया है जिसमें अविवाहित लिखा है। डॉली के भाई सुरेंद्र सिंह तोमर ने एसडीएम के यहां इस पर आपत्ति की और वहां सुनवाई न होने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति एपी शाही ने इस मामले की सुनवाई करते हुए डॉली से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
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अदालत में याची के अधिवक्ता आरपी मिश्र ने कहा कि डॉली मुंबई में एक व्यक्ति के साथ लंबे समय से ‘लिव इन रिलेशन’ में विवाहित की तरह रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि लंबे समय से लिव इन रिलेशन में रह रहे युवक-युवती को पति-पत्नी माना जाए। इस आधार पर डाली को विवाहित माना जाए और शादीशुदा होने के नाते उसे पिता की संपत्ति में हकदार नहीं माना जा सकता। कानून पिता की संपत्ति में परित्यक्ता, अविवाहित और विधवा (जो पिता के घर रही हो) को ही संपत्ति का अधिकारी माना गया है। राजस्व अधिकारी के निर्णय के खिलाफ दाखिल पुनरीक्षण में याची को सुना भी नहीं गया जो कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगी। इस बीच संपत्ति की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।